"एक ओर बंगाल की खाड़ी से उपजी हुई फैंगल चक्रवात तूफान के चलते किसानों की हालत वैसे भी पतली हो गई है वंही किसानों को अपनी मेहनत और पसीने से उपजाई गई धान को बेचने के लिए कम समय मिला है"
बालोद -: छत्तीसगढ़ प्रदेश की सरजमीं को धान का कटोरा माना गया है ऐसे में जाहिर सी बात है कि समूचे प्रदेश भर में धान और किसान महत्वपूर्ण स्थान रखता है। जैसा कि हमारे सुधी पाठकों को यह भली-भांति से पता है कि इन दिनों छत्तीसगढ़ राज्य सरकार पूरे प्रदेश भर के अंदर मेहनतकश किसानों द्वारा उपजाई हुई धान को धान खरीदी केन्द्रों के जरिए खरीदने का काम कर रही है लेकिन जैसा कि हमने पहले ही जिक्र किया है कि छत्तीसगढ़ राज्य के अंदर धान और किसान महत्वपूर्ण स्थान रखता है। ऐसे में राजनीतिक दलों के द्वारा धान और किसान के विषय में राजनीति नहीं होगी ऐसा हरगिज नहीं माना जा सकता है। बहरहाल छत्तीसगढ़ राज्य सरकार के द्वारा प्रदेश के अंदर मौजूद मेहनतकश किसानों के मेहनत से उपजाई गई धान को खरीदीने के लिए जो रणनीति बनाई गई है। उसे लेकर कांग्रेस पार्टी ने हल्ला बोल दिया है। गौरतलब हो कि छत्तीसगढ़ राज्य के अंदर कांग्रेस पार्टी की पिछली सरकार को माटी पुत्र किसानों की सरकार कहलाने का तमगा हासिल हुआ था। अब ऐसे में स्वाभाविक बात है कि किसानों की मेहनत और पसीने से कमाई गई धान को खरीदीने में सरकार की ग़लत नितियों पर कांग्रेस पार्टी अपनी आवाज तो बुलंद करेगी ही,चूंकि कांग्रेस पार्टी के द्वारा अक्सर कहा जाता है कि भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन सरकार ने प्रदेश के अंदर रहने वाले किसानों को अपने झांसा में लेकर ठगने का काम किया है और झूठ के बलबूते कांग्रेस पार्टी से सत्ता हथियाया लिया है। अब ऐसे में इन दिनों छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की धान खरीदी को लेकर अपनाई गई रणनीति को लेकर कांग्रेस पार्टी सियासी मैदान पर है और सरकार के द्वारा अपनाई गई धान खरीदी के फार्मूले को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ सख्त नजर आ रही है। इस कड़ी में बालोद जिला कांग्रेस कमेटी के जिला अध्यक्ष चंद्रा प्रभा सुधाकर ने जिला कांग्रेस भवन में प्रेसवार्ता कर भाजपा सरकार के खिलाफ जमकर हल्ला बोला है। इस दौरान कांग्रेस पार्टी की जिला अध्यक्ष चंद्रा प्रभा सुधाकर ने कहा कि सरकार किसानों की मेहनत और पसीने से उपजाई गई धान को खरीदीने के लिए कोताही बरतते हुए षड्यंत्र रच रही है। विष्णुदेव साय सरकार की धान खरीदी को लेकर अपनाई गई नई निती से स्पष्ट है कि भाजपा की सरकार किसानों को उनका हक नहीं देना चाहती है और इसलिए धान कम खरीदना चाहती है। इस बार 160 लाख मिट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य है। इसके लिए सरकार ने 14 नवम्बर से 31 जनवरी तक का समय निर्धारित किया है। सरकार के द्वारा निर्धारित की गई समय में यदि शनिवार और रविवार की छुट्टी और सरकारी छुट्टीयों को घटाकर देखें तो किसानों को धान बेचने के लिए महज 47 दिन ही मिल रहे हैं। इसका मतलब यह है कि प्रति दिन सरकार को लगभग साढ़े तीन लाख मिट्रिक टन धान की खरीदी करना होगा तब जाकर सरकार का लक्ष्य पूरा होगा, लेकिन वर्तमान परिदृश्य के अंदर जिस रफ्तार से धान खरीदी की जा रही है वह सरकार की लक्ष्य से असंभव नजर आ रहा है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी की विष्णुदेव साय सरकार की धान खरीदी को लेकर अपनाई गई रणनीति को लेकर कांग्रेस पार्टी के जिला अध्यक्ष ने कई और खुलासे किए हैं। इस दौरान उनके साथ इस प्रेस वार्ता में पूर्व विधायक डोमेन्द्र भेड़िया, पूर्व कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष कृष्णा दुबे, पुरूषोत्तम पटेल,ब्लाक अध्यक्ष चंद्रेश हिरवानी शामिल रहे।