बालोद : यह बात सवा आना सत्य है कि धरती पर यदि कोई भगवान का दूसरा स्वरूप है,तो वह एक मात्र डाक्टर ही हो सकता है। हां यह अलग बात है कि कलजुग के इस दौर में डाक्टर रूपी धरती के असल भगवानों के भी ऊपर कई और भगवान होने की बात फौरी तौर पर कही जाती है। अब सोचने वाली बात यह है कि आखिरकार कलजूग के इस दौर में धरती के असल भगवानों के भी भगवान अचानक कंहा से पैदा हो गए हैं,चूंकि धार्मिक शास्त्रों और ग्रंथों में इन्हें लेकर कोई भी जिक्र पढ़ने सुनने व समझने को अब तक नहीं मिला है। लिहाजा ऐसे में सवाल यह उठता है कि अचानक पैदा हुए कलजूग के असल भगवानों( डाक्टरों) के भगवान आखिरकार कौन है? दरअसल कलजुग के इस दौर में धरती के असल भगवान माने जाने वाले डाक्टरों के अचानक पैदा हुए भगवान कोई दूसरा नहीं बल्कि राजनीतिक शास्त्र और कुटनीति के किताब से पैदा हुये वह भगवान है जिन्हें जनता खुद अपने लिए भगवान के तौर पर चयन करती है और जिसके रहमो करम पर धरती के अंदर मौजूद रहने वाले समस्त चराचर जगत गुजर बसर करता है। अतः राजनीति शास्त्र और कुटनीति के किताब से उत्पन्न हुये कलजूग के इस दौर के भगवान को सारा चराचर जगत सरकार के नाम से पूजता और पहचाना है। हालांकि इस भगवान को स्वंय धरती पर बसने वाले लोग अपनी जरूरतों की पूर्ति हेतू खुद से निर्मित करता है। इसके लिए जनता अपने ही बिच से इन भगवानों का चयन करते हुए दिखाई देता हैं। ऐसे में जनता के द्वारा निर्मित की गई इन भगवानों की सबसे बड़ी जिम्मेदारी जनता से जुड़े हुए जरूरतों की पूर्ति करना बताया गया है। बहरहाल धरती पर मौजूद असल भगवान (डाक्टर) जिन्हें कलजूग के इस दौर चल रही अमृतकाल में तक भगवान का दर्जा प्राप्त है। उनका सम्मान करना हर नागरिक के साथ नागरिकों के द्वारा चुनी गई भगवानों की भी प्रथम दायित्व माना गया है। हालांकि कई जगहों पर आम नागरिकों के द्वारा निर्मित कलजूग के भगवान धरती के असल भगवानों ( डाक्टरों )के सम्मान को लेकर गंभीर नहीं दिखाई दे रहे हैं जिसके कारण धरती पर मौजूद रहने वाले दोनों भगवानों के बिच एक बार फिर संघर्ष छिड़ने की जानकारी व सूचना प्राप्त हुई है।
छत्तीसगढ़ के बलरामपुर में स्वास्थ्य कर्मी की थाना में लटकी हुई लाश मिली तो वंही दुसरी तरफ बालोद जिले के गुण्डरदेही के अर्जुदा सरकारी हास्पिटल में डाक्टरों और स्टाप के साथ कांग्रेसी विधायक कुंवर सिंह निषाद के साथ हुआ विवाद।
जैसा कि हमने हमारे सुधी पाठकों के मध्य जिक्र किया है कि धरती पर दो तरह के भगवान कलजुग के इस अमृतकाल के दौर में होने का जिक्र मिलता है। जिसमें से पहला भगवान डाक्टरों को कहा गया है और दूसरा भगवान चुने हुए जनप्रतिनिधियों को माना गया है। गौरतलब हो कि समूचे चराचार जगत में शांति समृद्धि और खुशहाली के लिए दोनों तरह के भगवानों का एकजुट होकर धरती पर बसने वाले सभी नागरिकों की भलाई के लिए प्रयास करना आवश्यक माना गया है। ऐसे में दोनों भगवानों के बिच संघर्ष की स्थिति किसी भी स्तर पर मान्य नहीं है। बावजूद इसके जनता के द्वारा निर्मित ज्यादातर भगवान राजनीतिक नफा-नुकसान के चलते कई बार संघर्ष की स्थिति पैदा करने से बाज नहीं आते हैं। फलस्वरूप आम नागरिकों को इसका भंयकर खामियाजा भुगतना पड़ता है। उदाहरण के लिए छत्तीसगढ़ राज्य के अंदर इन दिनों सुर्खियों में छाई हुई खबरों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है। एक ओर जहां बलरामपुर के अंदर एक स्वास्थ्य कर्मी की थाना में लटके हुए लाश को लेकर बवाल मचा हुआ है और वंही दुसरी ओर बालोद जिले के गुण्डरदेही विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत नगर पंचायत अर्जुंदा के सरकारी अस्पताल में हुई स्थानीय विधायक कुंवर सिंह निषाद और स्वास्थ्य कर्मियों के बिच भंयकर विवाद होने की सुचना है। इस बीच बलरामपुर में कानून व्यवस्था को लेकर गंभीर स्थिति बनी हुई बताई जा रही है तो वंही दुसरी ओर गुण्डरदेही विधायक कुंवर सिंह निषाद को लेकर बालोद जिला के अंदर पदस्थ स्वास्थ्य कर्मियों ने मोर्चा खोल दिया है। हालांकि उक्त मामले को लेकर गुण्डरदेही विधानसभा क्षेत्र के लोकप्रिय विधायक कुंवर सिंह निषाद ने टाप भारत से बात करते हुए कहा है कि यह मेरे खिलाफ भाजपा की घटिया राजनीतिक हरकत है। मैं डाक्टर साथियों का दिल से सम्मान करता हूं और मैं यह भी मानता हूं कि डाक्टर ही धरती के असल भगवान है। डाक्टरों को मेरे खिलाफ सत्ताधारी राजनीतिक के द्वारा भड़काया जा रहा है जबकि घटना में शामिल सांसद प्रतिनिधि के बेटे को बचाया जा रहा है। उल्टा मेरे द्वारा इस मामले में सवाल खड़े किए जाने पर डाक्टरों के माध्यम से मुझे जबरदस्ती साजिश का शिकार बनाया जा रहा है।