केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ माओवादी उग्रवाद समीक्षा बैठक में शामिल ज्यादातर मुख्यमंत्री आदीवासी समाज से ताल्लुक रखते हैं। इस बीच नक्सलवाद के दलदल में आदीवासी समाज से ताल्लुक रखने वाले ज्यादातर आदीवासी फंसे हुए हैं। यदि सरकार की नियत सही होगी तो निश्चित रूप से आदीवासियों को फायदा मिलेगा लेकिन सरकार की नियत थोड़ी सी भी ग़लत निकली तो आदीवासियों को भंयकर नुकसान होगा। इस बीच आदीवासी मुख्यमंत्री अपने ही समाज को क्या मुंह दिखाने लायक बचे रहेंगे यह बड़ा सवाल है।
@ vinod netam #
नई दिल्ली : केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि सुरक्षा बल अब नक्सलियों के खिलाफ रक्षात्मक कार्रवाई के बजाय ‘‘आक्रामक अभियान’’ चला रहे हैं और हाल के समय में उन्होंने बड़ी सफलता हासिल की है। शाह ने नक्सलवाद से प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं शीर्ष अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति में सुधार के कारण पिछले लोकसभा चुनाव में 70 प्रतिशत तक मतदान हुआ। इससे पहले इस क्षेत्र में एक भी मत नहीं पड़ा था। इस महत्वपूर्ण बैठक में नक्सल-विरोधी अभियानों और प्रभावित क्षेत्रों में की गई विकास पहलों पर चर्चा की गई। छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों द्वारा कम से कम 31 नक्सलियों को मार गिराए जाने के कुछ दिनों बाद नक्सल-प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ केंद्रीय गृहमंत्री की यह बैठक हुई है। यह मुठभेड़ हाल के दिनों में नक्सलियों के खिलाफ सबसे सफल अभियानों में से एक है। शाह ने कहा, ‘‘सुरक्षा बल अब रक्षात्मक अभियान चलाने के बजाय आक्रामक अभियान चला रहे हैं। उन्होंने नक्सलियों को विकास के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा बताते हुए कहा कि वे मानवाधिकार के सबसे बड़े उल्लंघनकर्ता हैं, जो आठ करोड़ से अधिक लोगों को विकास और बुनियादी कल्याण के अवसरों से वंचित कर रहे हैं। नक्सलवाद के खतरे से प्रभावित राज्यों में छत्तीसगढ़, ओडिशा, तेलंगाना, महाराष्ट्र, झारखंड, बिहार, आंध्र प्रदेश और मध्यप्रदेश शामिल हैं। अधिकारियों ने कहा कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की रणनीति के कारण नक्सली हिंसा में 72 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि 2010 की तुलना में 2023 में नक्सली हमले में मरने वालों की संख्या में 86 प्रतिशत की कमी आई है तथा नक्सली अब अपनी अंतिम लड़ाई लड़ रहे हैं।नक्सलवाद प्रभावित राज्यों को विकास सहायता प्रदान करने में शामिल केंद्रीय मंत्रियों ने भी बैठक में भाग लिया। साथ ही केंद्र, राज्यों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी बैठक में हिस्सा लिया। गृह मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान में कहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृहमंत्री के मार्गदर्शन में केंद्र सरकार मार्च, 2026 तक नक्सलवाद के खतरे को पूरी तरह से जड़ से खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। केंद्र सरकार नक्सलवाद से प्रभावित राज्य सरकारों को इस खतरे से लड़ने में हरसंभव सहायता प्रदान कर रही है। शाह ने पिछली बार छह अक्टूबर, 2023 को प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ नक्सलवाद पर समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की थी। उस बैठक में गृहमंत्री ने नक्सलवाद को खत्म करने के संबंध में व्यापक दिशानिर्देश दिए थे। वर्ष 2024 में अब तक 230 से अधिक नक्सलियों का सफाया किया जा चुका है, 723 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जबकि 812 को गिरफ्तार किया गया है। नक्सलवाद से प्रभावित जिलों की संख्या अब सिर्फ 38 रह गई है। केंद्र सरकार ने विकास योजनाओं को प्रभावित राज्यों के सुदूर क्षेत्रों तक पहुंचाने के लिए सड़क और मोबाइल संपर्क को बढ़ावा देने सहित कई कदम उठाए हैं। बयान में कहा गया है कि नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में अब तक कुल 14,400 किलोमीटर लंबी सड़कें बनाई गई हैं और लगभग 6,000 मोबाइल टावर लगाए गए हैं।
सत्ता हाथ से निकली तो नक्सली क्रांतिकारी और सत्ता हाथ में आई तो नक्सली बन गए आतंकवादी। आखिरकार भारतीय जनता पार्टी की नेताओं के पेट में दांत कंहा पर है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि देश में मौजूद हमारे ज्यादातर नेता दूसरों की छत छीन कर कंबल दान करने में माहिर हो चुके हैं। ऐसे में नेताओं के द्वारा लागू की जा रही हर कल्याणकारी योजनाओं के पीछे की मंशा को समझने की भी जरूरत है। चूंकि कहा जाता है कि सच वह नहीं होता है जो दिखाई दे बल्कि सच वह होता है जो छुपाई जा रही होती है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी की मौजूदा सरकार भले आज नक्सलवाद की खात्मा पर बात कर रही है,लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि आज से कुछ साल पहले यही भारतीय जनता पार्टी के नेता जब नक्सलवाद के खिलाफ तत्कालीन सरकार आपरेशन ग्रीन हंट चलाई जा रही थी, तब नक्सलियों के पक्ष में बयान देते हुए दिखाई देते थे। ऐसे में सोचने वाली बात यह है कि आखिरकार ऐसी क्या वजह रही होगी कि उस समय जनता के भारतीय जनता पार्टी के नेताओ के विचार नक्सलवाद की खात्मा को लेकर अलग थे और आज के वर्तमान दौर में अलग? कंही नक्सलवाद खात्मा के नाम पर पीछे से मोदी सरकार की कुछ दूसरा जुगाड़ के चक्कर में तो नहीं है। गौरतलब हो कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गृहमंत्री अमित शाह और छत्तीसगढ़ राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह नक्सलवादीयो का महिमा मंडन करते हुए देखें गए हैं। ऐसे में अचानक नक्सलवाद की खात्मा को लेकर लगातार अभियान के पीछे कहीं कोई बड़ी रणनीति तो नहीं है? चूंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 20 मई, 2010 को नक्सलियों की महिमा मंडन में बयान दिया था जब वो गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। वंही गृहमंत्री अमित शाह ने आज से कुछ साल पहले ही पत्रकार वार्ता में नक्सलियों को क्रांतिकारी बताते हुए दिखाई दिए थे,जबकि डाक्टर रमन सिंह छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री रहते हुए साल 2015 में यह कहते हुए नजर आ चुके है कि'नक्सली धरती माता के सपूत हैं' और उनका मुख्यधारा में 'बच्चों की तरह' स्वागत होगा।