मुकेश कश्यप
कुरूद:- प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी कुरूद में धूमधाम के साथ हनुमान जन्मोत्सव मनाया गया।
दिव्य हनुमान मंदिर पचरीपारा कुरूद और श्री संकटमोचन परिवार ,पंचमुखी हनुमान मंदिर ,पुराना बाजार चौक कुरूद के तत्वाधान में मंगलवार को हनुमान जन्मोत्सव के पावन अवसर पर भव्य शोभायात्रा निकाली गई।धूमाल और डीजे की मधुर ताल पर निकली यह शोभायात्रा की धूम रही।इससे पूर्व सुबह 10 बजे से मंदिर प्रांगण में रामभक्त बजरंग बली की विशेष पूजा अर्चना और प्रसादी का वितरण कार्यक्रम हुआ।साथ ही साथ कुरूद में विराजित हनुमान जी के सभी मंदिरों में भव्य पूजा अर्चना,भजन कीर्तन,प्रसादी वितरण आदि कार्यक्रम हुए।सभी स्थानों पर बड़ी संख्या में भक्त गण शामिल हुए और पवन पुत्र के सम्मुख जनकल्याण की अर्जी लगाई।
मान्यता है कि हर साल चैत्र महीने की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है। मंगलवार का दिन हनुमान जी की पूजा के लिए समर्पित है।ऐसे में आज इसी दिन हनुमान जन्मोत्सव का होना बहुत ही शुभ माना जा रहा है। यह दिन हनुमान भक्तों के साथ ही राम भक्तों के लिए भी खास दिन होता है। क्योंकि हनुमानजी तो स्वयं रामजी के परम और प्रिय भक्त थे।इस शुभ दिन पर भक्तगण पूजा-पाठ करते हैं और धूमधाम से बजरंगबली का जन्मोत्सव मनाया जाता है।
तुलसीदास ने हनुमान चालीसा में लिखा है, ‘भीम रूप धरि असुर संहारे, रामचंद्रजी के काज संवारे.’ यानी रामजी सबके बिगड़े कार्य बनाते हैं, लेकिन हनुमान जी उनके काम बनाते हैं। इसलिए कहा जाता है कि, हनुमान जी का जन्म प्रभु राम की सहायता और बिगड़े काम बनाने के लिए हुआ। भगवान राम का जन्म श्रीहरि विष्णु के 7वें अवतार के रूप में धरती पर त्रेतायुग में हुआ।वहीं हनुमान जी को भगवान शिव का 11वां रूद्रावतार कहा जाता है। विष्णु जी के 7वें अवतार यानी भगवान राम का जन्म धरतीलोक पर असुरों के संहार के लिए मानव रूप में हुआ। लेकिन इससे शिवजी चिंतित हो गए और रामजी की सहायता के लिए उन्होंने स्वयं हनुमानजी के रूप में जन्म लेकर रामजी की सहायता की।