भाजपा नेता वरुण गांधी पर इन दिनों अचानक मेहरबान दिखाई दे रही है कांग्रेस और समाजवादी पार्टी, इसका कारण यह है कि भाजपा ने वरुण गांधी को उनके निर्वाचन क्षेत्र पीलीभीत से टिकट देने से इनकार कर दिया है! अगर वरुण गांधी तैयार होते हैं,तो कांग्रेस उन्हें रायबरेली या अमेठी से चुनावी मैदान में उतार सकती है! यदि वरूण गांधी रायबरेली या अमेठी संसदीय सीट से भाजपा के खिलाफ कांग्रेस पार्टी या फिर समाजवादी पार्टी की ओर से मैदान में उतरते हैं, तो फिर भाजपा को अच्छी ख़ासा नुकसान पहुंचने की आशंकाएं जताई जा रही है ..@ vinod netam # Top Bharat Desk....
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव उस समय बेहद दिलचस्प मोड़ पर चला गया, जब विपक्षी दलों के निशाने पर रहने वाले वरुण गांधी पर अचानक कांग्रेस और समाजवादी पार्टी मेहरबान दिखाई दे रही है। दरअसल भाजपा ने जब से वरुण गांधी को उनके निर्वाचन क्षेत्र पीलीभीत से टिकट देने से इनकार कर दिया है, कांग्रेस और सपा इस जुगत में लगे हैं कि वो किसी भी तरह से वरुण गांधी को अपने पाले में कर लें। सनद रहे वरुण गांधी लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस पार्टी और सपा के खिलाफ जबरदस्त तरीके से हमलावर स्थिति में देखे जा चुके हैं लेकिन बीते कुछ सालों से भाजपा सांसद वरूण गांधी सरकार की नीतियों पर भी बेबाक राय जनता के मध्य रखते हुए पाए गए हैं!
समाचार वेबसाइट द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार फिलहाल भाजपा द्वारा पीलीभीत से टिकट काटे जाने से आहत वरुण गांधी चुप रहने पर विचार कर रहे हैं। बीजेपी ने पीलीभीत से वरुण गांधी की जगह योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद को टिकट दिया है, जो साल 2021 में कांग्रेस छोड़ने के बाद भगवा खेमे में शामिल हो गए थे।
सूत्रों के अनुसार मौजूदा हालात में वरुण गांधी पार्टी के फैसले से नाराज तो हैं लेकिन न तो वो पीलीभीत से भाजपा के बागी के रूप में स्वतंत्र प्रत्याशी बनकर चुनाव लड़ने जा रहे हैं और न ही कांग्रेस या सपा जैसी विपक्षी दलों की शरण में जा रहे हैं। हालांकि इतना तो तय बताया जा रहा है कि पार्टी द्वारा टिकट काटे जाने के बाद वरुण गांधी खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे है और शायद यही कारण है कि वो फिलहाल पीलीभीत से दूर हैं।
जानकारी के अनुसार वरुण कथित तौर पर इस कारण से खामोश हैं कि अगर वो पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर कोई कदम उठाते हैं तो उससे उनकी मां मेनका गांधी की सुल्तानपुर से संभावनाएं प्रभावित हो सकती हैं। इस बीच कांग्रेस ने तो खुलेतौर पर वरुण गांधी को कांग्रेस में शामिल होने का ऑफर दे दिया है।
कांग्रेस के अलावा समाजवादी पार्टी भी लंबे समय से वरुण गांधी के प्रति नरम है और समय-समय पर इस बात का संकेत दे चुकी है कि सपा उन्हें पीलीभीत से चुनाव लड़ने के लिए टिकट दे सकती है।
हालांकि सपा ने पहले ही पीलीभीत से अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दिया है, लेकिन अगर वरुण गांधी सपा में आते हैं तो पार्टी उन्हें वहां से खड़ा करने में कोई गुरेज नहीं करेगी। वहीं यूपी की सियासत में इस तरह की भी चर्चाएं चल रही हैं कि कि यदि वरुण कांग्रेस के पाले में आते हैं तो पार्टी उन्हें रायबरेली या अमेठी से चुनावी मैदान में उतार सकती है।
ऐसे कयास को इस कारण से बल मिला क्योंकि लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भाजपा से टिकट कटने के बाद वरुण गांधी को प्रतिष्ठित और बहुत सक्षम नेता बताया। कांग्रेस नेता चौधरी ने आरोप लगाया कि भाजपा ने वरुण गांधी का टिकट इस कारण से काटा क्योंकि वो गांधी परिवार की विरासत से ताल्लूक रखते हैं।
वहीं दूसरी ओर कई मुद्दों पर पार्टी लाइन के विपरीत अपने विचारों के कारण लोकसभा टिकट के हाथ धो बैठे वरुण के बारे में अटकलें लग रही हैं कि वो आगामी चुनाव में पीलीभीत से निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं। यह संभावना इस कारण से बन सकती है क्योंकि उनके निजी सचिव ने हाल ही में नामांकन पत्रों के चार सेट खरीदा है।
पीलीभीत सीट पर पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होगा। पर्चा दाखिल करने की आखिरी तारीख 27 मार्च है। ऐसी खबरें आ रही हैं कि वरुण ने अपने समर्थकों से उनके जुलूस का हिस्सा बनने के लिए पीलीभीत से वाहनों के साथ तैयार रहने को कहा है।