अर्थशास्त्रियों की मानें तो 1ट्रिलियन डॉलर, याने 83 लाख करोड़ वह भी भारतीय रूपया में, इस हिसाब से हम सब भारतीय नागरिक अमृतकाल के इस दौर में इस बख्त तीन ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी के धनी और खाते पीते राष्ट्र वाली देशों की श्रेणी में आ खड़े है! तीन ट्रिलियन डॉलर इकानॉमिक इसका मतलब हुआ लगभग 250 लाख करोड़ ! इस हिसाब से भारत मे जितनी भी वस्तु और सेवा पैदा होती है,उसकी कीमत टोटल ढाई सौ लाख करोड़ है। इस तरह हम अमेरिका चीन जापान और जर्मनी के बाद पांचवे नँबर पर पूरे संसार भर के धनी लोग हैं,और ब्रिटेन, फ्रांस के साथ रशिया से बड़ी इकॉनमी हमारी है। यानि की अमृतकाल के इस दौर में कई पीते खाते हुए देशों को पीछे छोड़ कर हम भारतीय आज काफी आगे निकल चुके है,लेकिन जितने भी खाते पीते और पीते खाते देश है! वंहा की आबादी लगभग 10-15 करोड़ से कम है, जबकि हमारी डेढ़ सौ करोड़ की आबादी है। इस हिसाब से यदि एक एक आदमी 1-1 रुपया भी गुल्लक में डाले,तो डेढ़ सौ करोड़ हो जाता है,लेकिन क्या डेढ़ सौ करोड़ लोग,डेढ़ सौ करोड़ का कोष बना लेंगे,तो वह किसी 100 करोड़ वाले रईस से ज्यादा रईस कहे जाएंगे?
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लेकिन अनोखापन यह कि हर आदमी के पास बस 1 ही रुपया है, जिसे वो गुल्लक में डालकर भी चिंतित नहीं हैं,जबकि 100 करोड़ के मालिक से अधिक अमीर होने का ऑरगेज्म प्राप्त कर रहा है।
इसे कहते है पगलियाना। बौरा जाना या फिर पगला जाना। झक्की जैसी बात करना,लेकिन पगलों जैसी बात करना हमारा नेशनल पैशन है, राष्ट्रभक्ति की प्रथम शर्त है। इसकी शुरुआत शीर्ष पर बैठे, झूठ के बकासुर से होती है।
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दरअसल भारत में 8 करोड़ टोटल इनकमटैक्स पेयर्स हैं। यानी इनकी आय 7 लाख से ज्यादा है। मात्र 8 करोड़, बाकी गए 142 करोड़ देश के जिम्मेदार नागरिक- जय श्रीराम हैं।
इनमे बच्चे बूढ़े हटा दीजिए,तो 80 करोड़ देश मे रजिस्टर्ड भिखारी है, जिन्हें खाने के लिए फोकट में सरकार राशन देती है। वो भी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना अंतर्गत! इस बीच लोगों की जन धन खाते खोल दिये गए! आधार आया, इसका फायदा यह हुआ कि देश भर में डिजिटल पेमेंट शुरू हो गए। भीख के कटोरे, कालातीत हो गए।
एक भिखारी गर्व के साथ कटोरा त्याग कर, QR कोड से भीख मांग सकता है। उच्चतकनीकसमृद्ध भिखारी सड़कों पर दिख रहे है।
देश मे 10 लाख भी भिखारी हों, और महीने का 3000 भी भीख जमा कर लेते है , तो तीन सौ करोड़ का टर्नओवर होता है! यहां इसे शुरू कीजिए, और महीने का 5, 10, 20 या 35 हजार की भीख (वेतन) कमाने वालो को जोड़ते चले जाइये। आपकी तीन ट्रिलियन की इकॉनमी बन जाती है! इसे पढ़ने वाले मैक्सिमम लोग इसी ( बिलो 50 हजार) भीख कमाने वालो में आते है।
आपको ऐसा इसे बनाने में इस सरकार का कितना योगदान है?? सोचिये! बस, उतना ही योगदान, उसका, देश को 3 ट्रिलियन की इकॉनमी बनाने में है!