कोलिहामार के कबाड़ी मन्नू नेताम के कबाड़ पर गुरूर तहसीलदार का पड़ा छापा, लेकिन सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा करने वाले लोगों पर क्यों नहीं पड़ता तहसीलदार साहब का छापा यह एक बड़ा सवाल है।
क्योंकि संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र की राजनीतिक रण भूमि मुख्यालय नगर पंचायत गुरूर से लगा हुआ ग्राम पंचायत जिसकी आधे से ज्यादा जमीन नगर पंचायत गुरूर में विलोपित हो चुकी है।
ऐसे में ज्यादातर विकासखंड मुख्यालय की सरकारी कार्यालय कोलिहामार की जमीन पर बनाई गई है
परिणाम स्वरूप ज्यादातर सरकारी कर्मचारी ग्राम पंचायत कोलिहामार की जमीन पर रहते हुए सरकारी सेवा में कार्यरत हैं! नगर पंचायत गुरूर में बढ़ती हुई जनसंख्या का भार ग्राम पंचायत कोलिहामार सालों से उठा रहा है जिसके चलते ग्राम पंचायत के अंदर सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा तेजी के साथ बढ़ने की बात ग्रामीणों की ओर से कहीं जा रही है! ग्रामीणों की मानें तो बड़े बड़े और पैसा वाले लोग अपनी रसूख और पैसों के दम पर नियम विरुद्ध तरीके से सरकारी जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं! जिसके चलते आलम यह बना हुआ है कि गांव में सरकारी जमीन या घांस जमीनों की संख्या ना बन कर रह गई है, जबकि ग्राम पंचायत कोलिहामार के जिम्मेदार व्यक्ति और सरकारी अधिकारी छोटे और गरीब तबके के लोगों को धावा बोलकर चमका देते है मामले में सवाल जवाब करने पर!आखिरकार ग्रामीणों की सवालों पर कोलिहामार में चुप्पी क्यों? आखिर सरकारी जमीनों की दलाली में शामिल कौन है?
वैसे तो सरकारी जमीनों की देखरेख राजस्व विभाग स्थानीय ग्राम पंचायत, ग्राम कोटवार, ग्राम पटेल और हल्का पटवारी की कड़ी निगरानी में करती है!
सरकार सभी निगरानी करने वाले लोगों को उनके द्वारा की जा रही निगरानी का एक तय कीमत अदा करती हैं! बावजूद इसके यदि कंही पर कड़ी निगरानी करने के बावजूद लोग सरकारी जमीनों पर आसानी से बेजा कब्जा करने में सफल हो पा रहे हैं तो निश्चित रूप से निगरानी करने वाले लोगों पर सवाल खड़े किए जायेंगे इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए!
अब जब ग्राम पंचायत कोलिहामार में ग्रामीण सवाल खड़े कर रहे हैं, तो यह मामला और भी दिलचस्प हो जाता है क्योंकि निगरानी करने वाले सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की नियत पर सवाल उठाए जा रहे हैं!
लोगों का कहना है कि जिनका काम सरकारी जमीनों की देखरेख करना था, लेकिन उनके निगरानी में आज ग्राम पंचायत कोलिहामार की जमीन खुलेआम खरीदी और बेची जा रही है, जबकि गांव के सरकारी जमीनों पर ग्रामीणों का पहला अधिकार है!
शायद इसलिए अब कोलिहामार के ग्रामीण सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा के खिलाफ मुहिम छेड़ने की बात कह रहे हैं!