बालोद (Top Bharat) -: अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा जल्द ही छत्तीसगढ़ राज्य के बालोद जिले में कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार करते हुए दिखाई दे सकती है। इस दौरान प्रियंका गांधी मौजूदा कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमती संगीता सिन्हा और अनिला भेड़िया की महिला होने पर अपनी पुरानी बयान लड़की हूं लड़ सकती हूं,इसे दोहरा सकती है, क्योंकि प्रियंका गांधी वाड्रा महिलाओं की अधिकारों को लेकर हर मंच पर उनके बेहतरी हेतू आवाज बुलंद करते हुए नजर आई है। जाहिर सी बात है जिला के दो विधानसभा क्षेत्र के अंदर कांग्रेस पार्टी ने इन महिलाओं को दोबारा टिकट देते हुए पार्टी का चेहरा बनाकर जनता के समक्ष प्रस्तुत किया है।ऐसे में प्रियंका गांधी वाड्रा की यह पुरानी बयान राजनीतिक माहौल बनाने के लिए काफी अहम माना जा रहा है। हालांकि कुछ दिन पहले प्रियंका गांधी वाड्रा की इस बयान को कांग्रेस पार्टी से बगावत कर निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़ने वाली मीना सत्येन्द्र साहू ने संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र के राजनीतिक रण भूमि मुख्यालय गुरूर की पावन धरा में दूहराती हुई नजर आई थीं। गौरतलब हो कि संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधानसभा चुनाव मैदान में उतरने वाली मीना सत्येन्द्र साहू बतौर कांग्रेस पार्टी से एक जिम्मेदार नेता रही है लेकिन इस बार पार्टी से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ने के कारण प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष दीपक बैंज ने संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र में प्रियंका गांधी वाड्रा की रैली से पहले निष्कासित कर दिया है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष दीपक बैंज के द्वारा मीना सत्येन्द्र को निष्कासित किए जाने पर उठ रहे हैं सवाल।
वैसे देखा जाए तो संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र के अंदर कई और बड़े कांग्रेसी नेताओं ने पार्टी के खिलाफ जाकर बगावती सुर अपनाते हुए मीना सत्येन्द्र साहू का साथ दिया है। बावजूद इसके निर्दलीय चुनाव लड़ने के चलते कांग्रेस पार्टी ने सिर्फ मीना सत्येन्द्र साहू पर कांग्रेस पार्टी ने निष्कासन की कार्यवाही को अंजाम दिया है। लोगों की मानें तो कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनाव में फजीहत से बचाव हेतु तत्काल प्रभाव से इस तरह की गतिविधियों को अपनाया है, जबकि जमीनी सच्चाई हकिकत के धरातल पर कुछ अलग मौजूद है। ऐसे में यह सवाल पूछा जा रहा है कि नफ़रत के बाजार में मोहब्बत की दुकानदारी खोलने की बात कहते हुए, पूरे भारत के गांव गांव और गलियों गलियों में ढिढोरा पिटने वाले कांग्रेसी नेता आखिरकार संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र की राजनीतिक रण भूमि क्षेत्र में बरसों तक पार्टी का झंडा थामने वाले कार्यकताओं को क्यों साथ में जोड़ कर रख पाने में असफल हुई। क्या कांग्रेस पार्टी के आला नेताओं को विधानसभा क्षेत्र में चल रही पार्टी के अंदर अंदरूनी गुटबाजी की जानकारी के साथ मौजूदा विधायक की मनमानी को लेकर कोई जानकारी नहीं थी?आखिरकार समय रहते हुए कांग्रेस पार्टी ने पार्टी में उठ रही आवाज को दफन करने के बजाय उसे शांति से बैठ कर सुलझाने में क्यों ध्यान नहीं दिया।
संजारी बालोद विधानसभा की राजनीतिक इतिहास में पहली बार एक साथ विधानसभा क्षेत्र की दो कांग्रेसी महिला जिला पंचायत सदस्यों ने बगावती सुर अख्तियार करते हुए अपने ही पार्टी की महिला कांग्रेसी उम्मीदवार के खिलाफ और भाजपा सहित अन्य राजनीतिक दल के प्रत्याशियों से विधानसभा चुनाव लड़ने का मन बनाया,हालांकि ललीता पीमन साहू ने मीना सत्येन्द्र साहू को समर्थन देते हुए उनके साथ बने रहने का फैसला किया है। माना जाता है कि जब जब किसी नेता ने पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ने का प्रयास किया है तब तब उसे जीत हासिल हुई है और पार्टी को हार। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी अंदरुनी लड़ाई से कैसे निजात पाकर सफलता हासिल करती है।