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डरावना गठबंधन !!!


@विनोद नेताम
नई दिल्ली : @ArvindKejriwal की गिरफ़्तारी के बाद ये सिद्ध हो जाएगा कि,बदलते दौर में जनता नहीं बल्कि सत्ता की चाबी इस “डरावने गठजोड़” (Modi’s Extra 2ab) के हाथ में है।
सत्ता की चाबी का गठजोड़:-
(परतंत्र ED/CBI/IT) + (डर्टी कॉर्पोरेट मनी) + (अशक्त न्यायालय)
अर्थात,यही है:
मोदी जी का Extra 2ab, 
(a+b)^2 के समीकरण में जनता किसे भी वोट दे ले, कुर्सी पर कौन बैठेगा, ये तय करेगा उक्त विषम गठजोड़।
इस गठजोड़ को देखकर सियासी सरजमीं से जुड़े हुए जानकारों के द्वारा कहा जा रहा है कि दस साल के शासन से संघ परिवार को आर्थिक लाभ चाहे जो मिला हो अथवा नहीं भी मिला हो लेकिन वर्तमान समय के दरमियान उसकी लोकतांत्रिक छवि को भंयकर तरीके से नुकसान पहुंचा है। जिसके चलते 2014 से 2019 तक और फिर 2019 से तानाशाही जो बढ़ी हुई है, वह 2024 जीतने के बाद कैसी होगी इसकी कल्पना भी डरावनी होने की बात कही जा रही है। ऐसे में 2024 जीतना मुश्किल है और वैसे भी तीन बार लगातार संभव नहीं माना जा रहा है। यह अलग बात है कि मार्गदर्शक मंडल में जाने की उम्र अब बढ़ गई है और सत्ता प्राप्ति की कोशिशें जारी हैं। शायद इसलिए कहा जाता है कि राजनीति में कुछ भी संभव है और फलांना है तो मुमकिन है। 
लोगों की मानें तो अरविन्द केजरीवाल आगे आने वाले दिनों में ऐसा कुछ करेंगे ताकि आईडिया ऑफ इंडिया बचा रहेगा। बात सिर्फ अरविन्द की नहीं, मनीष और संजय सिंह की भी है। अरविन्द इस उम्र में जोखिम ले सकते हैं, लेंगे भी,इसमें कोई संदेह नहीं है,हालांकि, होइहि सोइ जो राम रचि राखा। वैसे भी अरविन्द केजरीवाल भाजपा के साथ रहकर क्या करेंगे और क्या कर पायेंगे इसका अनुमान उन्हें होगा। 
ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आईडिया ऑफ इंडिया के खत्म होने के बाद देश की राजनीति में वे क्या कर पाएंगे - वह भी अपनी जगह है। ऐसे में अरविन्द बिल्कुल नहीं मानेंगे लिहाजा वे जेल जाना पसंद करेंगे। जेल जाने के फायदे कौन नहीं जानता। मौका देने के लिए भाजपा का अहसान मानना अलग बात है। बांकी राजनीति में कुछ भी हो सकता है। वैसे भी ना खाऊंगा ना खाने दूंगा सुनकर लोगों का पेट खराब बहुत हो चुका है। इसलिए अब उम्मीद बहुत कम बची हुई है। अतः ऐसा बिलकुल नहीं है कि कि अरविन्द यह सब नहीं समझेंगे।

anutrickz

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