"देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान कितना बदल गया इंसान,सुरज ना बदला चांद ना बदला ना बदला रे आसमान, कितना बदल गया इंसान"
नई दिल्ली : देश की सियासी गलियारों के अंदर इन दिनों इंडिया और भारत के नाम पर खूब राजनीतिक गहमागहमी सभी देशवासियों को देखने मिल रही है। हालांकि यह विषय देश में राजनीति करने का जरिया नहीं होना चाहिए, लेकिन देश के राजनीति में मौजूद नेता इसकी मायने को समझे तब ना? राजनीति में कहा जाता है कि यंहा सब कुछ जायज है और सत्ता ही सबसे बड़ा ताकत है। इस बीच इंडिया गठबंधन नाम वाले तमाम विपक्षी राजनीतिक दल सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकने हेतू इस नाम के जरिए खूब सियासी गदर देश की सियासी सरजमीं पर जगह जगह मचा रहे हैं। अब गदर मचेगा तो स्वाभाविक है बवाल होगा। इसलिए राजनीतिक गलियारों में जमकर इस नाम को लेकर जमकर बवाल होने की खबर है। वंही सत्ताशीर्ष पर बैठे हुए भारतीय जनता पार्टी की सरकार भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाने की बात कहते हुए विपक्षी राजनीतिक दलों की इंडिया गठबंधन को घमंडियां गठबंधन के नाम से चिढ़ा रही है, जबकि दुनियाँ के दरिद्रता सूचकांक में 121 देशों की लिस्ट में भारत जो कि इंडिया है, वह 107वें स्थान पर मौजूद है। बावजूद शोशेबाजी का आलम यह है, कि G 20 के लिए भारत पहुंचे हुए मेहमानों को सोनें चाँदी के बर्तनों में खाना परोसा जा रहा है। शायद इंडिया गठबंधन वाले राजनीतिक दल के नेता और भारतीय जनता पार्टी के नेता देश में रहने वाले असंख्य गरीब जो अपनी गुरबती में पूरा जीवन इस आस में निकाल देता है, कि शायद एक दिन वह भी इस गरीबी की गुरबती से बाहर निकल कर एक बेहतर जीवन जीते हुए सोने चांदी के बर्तनों में ना ही सही, कम-से-कम भर पेट भोजन तो कर पायेगा, उनकी तकलीफों को समझ पाते।

अब गरीबों की आश पूरी भी होगी, कब पूरी अथवा गरीबों की गुरबती से बाहर निकलने की आश धरी के धरी रह जाएगी, इसके बारे में कोई गरीब कुछ नहीं कह सकता है, लेकिन देश के सत्ताशीर्ष पर बैठे हुए हमारे कर्णधारों को देश में रहने वाले असंख्य गरीबों के मुंह में ढक्कन बंद कर अमीर देशों के राष्ट्राध्यक्षों को छप्पन भोग परोसेंगे तब तो यकीनन रूप से सवाल पुछा जायेगा।
अब सवाल यह उठता है कि सोने और चांदी के बर्तनों में दूसरे देशों से आए हुए मेहमानों को छप्पन भोग परोसने वाले लोग क्या भूखे पेट और नंगे बदन रहने वाले भारत के गरीबों की सवालों का जवाब देंगे? भारत 55 देशों की राष्ट्राध्यक्षों के साथ G 20 शिखर सम्मेलन का धमाकेदार आयोजन कर रहा है। जिसमें सरकार की ओर से अरबों रुपए खर्च किए जाने की सूचना है। आखिरकार देश के गरीब भी इस देश की अमूल्य संपत्ति मानी जाती है,तो फिर इनकी थाली फटी वाली और मेहमानों की थाली सोने और चांदी की बर्तनों में छप्पन भोग से सजी वाली क्यों? देश के असंख्य गरीब 15 लाख रुपए की वादा को अबतक भूल नहीं पाए हैं। आज भी देश के असंख्य गरीब रह रह कर इस वादा को लेकर अपनी किस्मतों को कोसते हुए देखे जाते है। हालांकि 15 लाख रुपए गरीबों के बैंक खाते में जमा करने की बात को सत्ताशीर्ष पर बैठे हुए लोगों ने जुमला करार दे दिया है। बावजूद इसके गरीबों के लिए यह भी जूमला एक आश है, जो कि धरी की धरी बन कर रह गई है। एक ओर भारत की राजधानी नई दिल्ली में दुनिया के 20 बड़े विकसित देशों की राष्ट्राध्यक्षों के साथ 35 अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष और प्रतिनिधि भारत मंडापम के मंच पर बैठकर दुनिया भर में सुख और समृद्धि एवं शांति और गरीबी से मुक्ति हेतू अपने अपने विचारों का आदन प्रदान करते हुए दिखाई दे रहे हैं, तो वंही दूसरी ओर भारत की राजनीतिक गलियारों में G 20 के शिखर सम्मेलन की आयोजन पर राजनीति छिड़ी हुई दिखाई दे रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केन्द्र सरकार पर G20 देशों की शिखर सम्मेलन के दौरान लोगों को छुपाने का आरोप लगाया है। आरोप लगाते हुए राहुल गांधी ने कहा है कि,भारत सरकार हमारे लोगों को और जानवरों को छिपा रही है। हमारे मेहमानों के सामने भारत की सच्चाई छिपाने की कोई जरूरत नहीं है।


छिड़ी हुई राजनीति का मुख्य आधार भी गरीब और उनकी गुरबती से जुड़े हुए बताए जा रहे हैं। गौरतलब हो कि जी 20 देशों की शिखर सम्मेलन से पहले दिल्ली की झुग्गी झोपड़ियों और बदसूरत सच्चाइयों पर कपड़े और प्लास्टिक के पर्दे डाल दिये गये हैं।
जिनके चित्र इंटरनेट पर तैरकर दुनिया के हर उस व्यक्ति से सिर्फ़ एक क्लिक दूर हैं जिसके हाथ में स्मार्ट फ़ोन है G20 में शरीक हर देश के सामान्य मानसिक स्थिति वाले बालिग़ इंसान के हाथ में स्मार्ट फ़ोन है,लेकिन हमारे कलाकार को लगता है कि प्लास्टिक और कपड़ों के पर्दों से हम सच को झूठ बना सकते हैं!

फ़िलहाल संलग्न चित्र से साबित है कि ZEE ग्रुप तक ने इस ख़बर को इंटरनेट के समुद्र में तैरने को खुला छोड़ दिया है!