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गर्मी के शुरुआती दिनों में ही दम तोड़ने लगी अंचल में भूजल स्तर।

 

बालोद : जिला के गुरूर विकासखंड क्षेत्र जंहा के ज्यादातर हिस्सों में धान की डबल फसल विगत कई वर्षों से लगातार हो रही है। निरंतर धान की पैदावार के चलते विकासखंड क्षेत्र के ज्यादातर हिस्सों में भूजल स्तर पहले की अपेक्षा काफी गिर गया है। गिरते हुए भूजल स्तर की जानकारी प्रशासन और सरकार को काफी पहले ही लग चुकी है, जिसके चलते सरकार के द्वारा भूजल स्तर को बरकरार रखने हेतू विकासखंड क्षेत्र में लाखों खर्च कर प्रशासनिक कार्य भी कराएं हैं। बावजूद इसके भूजल स्तर में बदलाव नहीं आ पाया है। अलबत्ता विकासखंड क्षेत्र में भूजल  की लगातार गिरती हुई स्तर पर सब ख़ामोश और सून्न पड़े हैं। हालांकि यह खामोशी ज्यादा दिन बरकरार रह नहीं पायेगी।



  जानकारों की माने तो भूजल स्तर का अंधाधुंध दोहन और वृक्षों की बेहिसाब कटाई गिरते हुए भूजल स्तर का एक बड़ा कारण है। यदि विकासखंड क्षेत्र में मौजूद लोग इस बात को समझने में और ज्यादा देर करेंगे तो हो सकता है आगे आने वाले दिनों में गिरती हुई भूजल स्तर एक बड़ा कठिन समस्या बन कर रह जाए। आज भारत में जंहा खाद्य तेल की आपूर्ति अन्य दूसरे देशों पर टिकी हुई है, वंही भारत में खाद्य तेल उत्पादक फसल की उत्पादन रकबा दिनों दिन कम हो रही है। गुरूर विकासखंड क्षेत्र में आज से कुछ वर्ष पहले दलहन और तिलहन की फसल रबी सीजन के दौरान खूब लहलहाती थी, क्षेत्र के ज्यादातर किसान बारिस के दौरान लगाई गई फसल की कटाई के बाद दलहन और तिलहन की खेती को अधिक महत्व देते थे, लेकिन धान की अधिक उपज और ज्यादा मुनाफा के चक्कर ने क्षेत्र से दलहन और तिलहन की फसल को दूभर कर दिया है। धान की खेती में पानी की खपत अधिक होता है, जबकि दलहन और तिलहन की फसल में पानी की जरूरत बहुत कम होता है। विकासखंड क्षेत्र अंतर्गत आज भी ऐसे कई ग्राम पंचायत है जंहा पर मौजूद किसान हर वर्ष दलहन और तिलहन की बराबर पैदावारी कर रहे हैं। दलहन और तिलहन की पैदावारी को लेकर जिला के कृषि विभाग में तैनात अधिकारी और कर्मचारी जमीनी स्तर पर किसानों से मिलते रहे हैं इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन मेल जोल किसानों के साथ मेल जोल होने के बावजूद कृषि विभाग के अधिकारी लगातार धान की फसल लगाने वाले किसानों को जमीन की उर्वरा शक्ति और पानी की महत्ता को समझा नहीं पा रहे हैं यह एक बड़ा सवाल है। निश्चित तौर पर कृषि विभाग को इस विषय में गंभीरता से चिंतन करना चाहिए और जमीनी स्तर पर बदलाव लाने हेतू प्रयास करना चाहिए। बहरहाल छत्तीसगढ़ राज्य के बालोद जिला के गुरूर विकासखंड क्षेत्र की कई गांवों में जल संकट गहरा गया है जबकि गर्मी के मौसम का मिजाज अभी दिखना बांकी है।

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