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बेरोजगारी की हकीकत क्या है?


रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य के मशहूर लोक कलाकार ने अपने लोक गीत के माध्यम से छत्तीसगढ़ राज्य की महिम का गुणगान करते हुए ज्रिक किया है, कि, मोर छत्तीसगढ़ के भूईयां मां चिरैया बोले ना, आज छत्तीसगढ़ राज्य के भूईयां मा भले चिरैयां बोले या ना बोले,लेकिन राजनेताओं की तूती जरूर बोलती है। देश के गरीब और पिछड़े राज्य की तमगा प्राप्त छत्तीसगढ़ राज्य की इस सरजंमी में साल के अंत तक विधानसभा चुनाव तय है। इस बीच राज्य के ज्यादातर विधायक और मंत्री करोड़ पति है।जाहिर सी बात है भई, चुनाव सर पर है, और यह कोई ऐरा गेरा चुनाव नहीं है, बकायदा नेतागिरी का ठेंका हासिल करने का या अधिकार पाने का चुनाव है। ऐसे में तूती नेताओं के सुनाई नहीं देगा तो और किसका क्या सुनाई देगा? वैसे भी सियायत में चुनाव और चुनाव में नेता, छत्तीसगढ़ राज्य की सियासी सरजमीं पर खट्टे में जिमी कंद सब्जी की तरह माना गया है। शायद इसीलिए किसी भी नेता को अपने आसपास ही देख लिजिए पांच साल में एक ही बार संकट के मुद्रा में सन्न खड़े हुए दिखाई देता है। वो भी भयानक टेंशन में, कई बार तो ऐसा होता है कि कांटों तो खून नहीं ये वाला स्थिति तक देखा गया है। खैर कांग्रेस पार्टी और कांग्रेसी नेता इन दिनों अपनी सरकार के द्वारा किए गए विकास कार्यों पर सौ फीसदी टेंशन फ्री है। मौजूदा सरकार जन कल्याणकारी योजनाओं की सफलता पूर्ण क्रियान्वयन से उत्साहित हैं। विधानसभा चुनाव के पहले से भाजपा को नाकोचना चबाने के लिए कमर कस कर तैयार खड़ी है, लेकिन कांग्रेस पार्टी की मौजूदा सरकार को विधानसभा चुनाव में उतरने से पहले जमीनी सच्चाई को भी परखना चाहिए। क्योंकि समय पर जमीनी हकीकत को परखा नहीं गया तो संकट आज नहीं तो कल जरूर संभव है। हालांकि सत्ता पक्ष के ज्यादातर नेता सरकार में रहने के दौरान उन पर लग रहे तमाम तौहमत को मिटाने हेतू दिन-रात अखबारों में फोटू छपवा कर इन दिनों मस्का उपर मस्का लगा रहे हैं। हैरत की बात यह है कि क्या अखबार में मस्का उपर मस्का मारने से धरातल पर जो मंजर बनाया गया है ,वह मिट जायेगा? जनाब हरगिज़ नहीं। प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में इन दिनों शादीयों का मौसम चल रहा है। शादी को लेकर ज्यादातर लोगों में या लड़की के परिजनों में यह इच्छा व्याप्त रहती है, कि उनकी लड़की सरकारी नौकरी में पदस्थ लड़का से विवाही जाएं। यानी कि सरकारी नौकरी वाला दुल्हा चाहिए सबको बात खत्म, निश्चित रूप से विचार कोई ग़लत नहीं है। हर बेटी के परिवार और हर मां बाप यही चाहेगा, लेकिन क्या बेरोजगारी के मामले में भारत देश के अंदर छत्तीसगढ़ राज्य की स्थिति वाकई जमीनी स्तर पर बढ़िया है? यदि रोजगार के मामले में छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने बेहतर कार्य किया है, तो गरीब कन्या विवाह योजना अंतर्गत बड़ी संख्या में गरीब परिवारों के बेटे बेटीयों का सामुहिक विवाह आयोजन क्यों हो राहा है। जगह जगह आयोजित होने वाली सामुहिक विवाह सम्मेलन में शादी के बंधन में बेटीयों को बांधने वाले दुल्हे सरकारी नौकरी वाले हैं। ज्यादातर लोगों का जवाब नहीं होगा ?


  रोजगार के मामले में छत्तीसगढ़ राज्य फोकट की तूर्रा फेंक रही है यह सवा आना सत्य है। सरकार के पास रोजगार मुहैया कराने से लेकर बेरोजगारो की संख्या संबंधित आंकड़े भी होंगे यह कहा नहीं जा सकता है, जबकि छत्तीसगढ़ राज्य सरकार बेरोजगारी भत्ता देने के नाम एक बार फिर भाजपा को मुक्की दिखाने का प्रयास कर रही है। दरअशल इस वर्ष होने वाले ज्यादातर युवतियों की शादी जिनकी हो चुकी है या फिर होने वाली है। इनमें से ज्यादातर युवतियों के दूल्हेराजा सरकारी नौकरी से वंचित हैं और तो और इन युवतियों के ज्यादातर दुल्हाराजा कांग्रेस पार्टी की मौजूदा सरकार में पिछले चार से बेरोजगारी भत्ता पाने के आश्वासन अधिकारी के तौर पर बकायदा गिने जाते रहे है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी को विधानसभा चुनाव में जाने से पूर्व बेरोजगारी संबंधी झूठे आंकड़े और इस आंकड़े के दम पर झूठी वाहवाही भारी ना पड़ जाए।  

 विनोद नेताम की कलम से.......

anutrickz

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