बालोद : " अमूमन देखा जाता है कि चुनाव के नजदीक आते ही किसी दल भी राजनीतिक दल की सरकार हो प्रशासनिक कार्यों में कसौटी लाना शुरू कर देता है। निश्चित रूप से इसके पीछे चुनाव होता है, इसमें कोई संदेह नहीं है। अतः कुर्सी पर दिनभर बैठ कर मोबाइल से चिपके रहने वाले तमाम सरकारी कर्मचारी बाबू इन दिनों मोबाइल को साइलेंट मोड पर डाल कर जनता से जुड़े हुए फाईलों से धूल हटाने में जुटे हुए दिखाई दिए जाते हैं। छत्तीसगढ़ सरकार भी पिछले कुछ महीनों से आगे आने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर हर स्तर पर जनता से जुड़े हुए कार्यों को निपटाने का प्रयास कर रही है। इस प्रयास के माध्यम से राज्य सरकार आम जनता को तमाम योजनाओं में लाभ दिलाने से लेकर विधानसभा चुनाव में जाने से पहले तमाम गिला शिकवा एवं शिकायत को पूरी तरह से निस्ता नाबूत करना चाह रही है, क्योंकि आम जनता से जुड़े हुए हर छोटे मोटे कार्य चुनाव के दौरान काफी अहमियत रखती है। वंही चुनाव को ध्यान में रखकर ज्यादातर नेता भी जमीन पर मंडराने लगे हैं। एक ओर जंहा सत्ताधारी पार्टी के नेता सरकार की योजनाओं को लेकर जनता के समक्ष विकास की पैमाना को पिछली सरकारों से बेहतर बताने में ऐड़ी चोटी का जोर लगा रही है, तो वंही दूसरी ओर विपक्षी राजनीतिक दल के नेता सरकार की जनविरोधी नीतियों का गली गली में भंडा फोड़ करते हुए देखे जा रहे है। मतलब स्पष्ट है कि सामने चुनाव है, और जाहिर सी बात है,चुनाव है, तो शोर शराबा हर स्तर पर होगी चाहे, वह प्रशासनिक कार्यों के जरिए जनता से जुड़ें हुए कार्यों में कसावट हो,अथवा राजनीतिक नूरा कुश्ती के जरिए पालिटिक्स पहलवानी में दमखम रखने वाले पहलवान हो, शायद इसलिए चुनाव को भारतीय राजनीति में सब कुछ माना गया है। बहरहाल छत्तीसगढ़ राज्य के बालोद जिले में आयोजित की जा रही ’समाधान तुंहर दुआर’ शिविर के अंतर्गत 15 मार्च को बालोद जिले के अनेक ग्राम पंचायतों में ’समाधान तुंहर दुआर’ शिविर का आयोजन किए जाने की सूचना है। जिला प्रशासन बालोद के हर सरकारी महकमा गांव गांव जाकर शिविर का आयोजन कर रही है और जनता से जुड़े हुए कार्यों को निपटा रहे हैं। सरकार की मानें तो जिला प्रशासन के द्वारा आयोजित इस शिविर में आम जनता से जुड़े हुए हर छोटे बड़े प्रशासनिक कार्य जनता को उनके गृह ग्रामों में प्रशासनिक अमला के माध्यम से दिया जा रहा है। अपर कलेक्टर श्रीमती इंदिरा तोमर के माध्यम से प्राप्त जानकारी अनुसार बताया गया है कि इसके शिविर अगले चरण के अंतर्गत डौडी विकासखण्ड के ग्राम पंचायत बेलोदा, चिहरो, एवं अर्जुंदा तहसील के ग्राम पंचायत ओडारसकरी, कुरदी, गुण्डरदेही विकासखण्ड के ग्राम पंचायत जोरातराई, परसदा, सिर्री, विकासखण्ड डौण्डीलोहारा के ग्राम पंचायत खैरकट्टा, अरजपुरी तथा मार्रीबंगला तहसील के ग्राम पंचायत मुढिया, परसुली में ’समाधान तुंहर दुआर’ शिविर का आयोजन किया जाएगा। जिला प्रशासन द्वारा आयोजन को सफल बनाने हेतु सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। इसके लिए नोडल एवं अन्य अधिकारी-कर्मचारियों की ड्यूटी भी लगाई गई है। निश्चित रूप से इतना तामझाम यदि चुनाव नजदीक नहीं होता तो जमीन पर देखने को नहीं मिलता, लेकिन चुनाव सर पर है तो कर्मचारियों और अधिकारियों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे सरकार की इच्छा अनुसार काम करे। बालोद जिला प्रशासन में मौजूद अधिकारी और कर्मचारी बकायदा अपनी जिम्मेदारीयो को निभाने हेतू शिविर में समय पर पहुंच रहे हैं और जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं। साथ ही शिविर के बहाने अधिकारियों को जमीनी धरातल पर मौजूद मंजर है उसकी भी फिडबैक मिल रही हैं और जनता को उनके द्वार में सरकार की तमाम सुविधा भी उपलब्ध हो रही है। शायद इसीलिए छत्तीसगढ़ राज्य सरकार और कांग्रेस पार्टी की स्लोगन है, सेवा, जतन और सरोकार।
शहर और दफ्तर से दूर गांवों में छान मार रहे है जिला प्रशासन में मौजूद ज्यादातर अफसर बाबू ।
बालोद : " अमूमन देखा जाता है कि चुनाव के नजदीक आते ही किसी दल भी राजनीतिक दल की सरकार हो प्रशासनिक कार्यों में कसौटी लाना शुरू कर देता है। निश्चित रूप से इसके पीछे चुनाव होता है, इसमें कोई संदेह नहीं है। अतः कुर्सी पर दिनभर बैठ कर मोबाइल से चिपके रहने वाले तमाम सरकारी कर्मचारी बाबू इन दिनों मोबाइल को साइलेंट मोड पर डाल कर जनता से जुड़े हुए फाईलों से धूल हटाने में जुटे हुए दिखाई दिए जाते हैं। छत्तीसगढ़ सरकार भी पिछले कुछ महीनों से आगे आने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर हर स्तर पर जनता से जुड़े हुए कार्यों को निपटाने का प्रयास कर रही है। इस प्रयास के माध्यम से राज्य सरकार आम जनता को तमाम योजनाओं में लाभ दिलाने से लेकर विधानसभा चुनाव में जाने से पहले तमाम गिला शिकवा एवं शिकायत को पूरी तरह से निस्ता नाबूत करना चाह रही है, क्योंकि आम जनता से जुड़े हुए हर छोटे मोटे कार्य चुनाव के दौरान काफी अहमियत रखती है। वंही चुनाव को ध्यान में रखकर ज्यादातर नेता भी जमीन पर मंडराने लगे हैं। एक ओर जंहा सत्ताधारी पार्टी के नेता सरकार की योजनाओं को लेकर जनता के समक्ष विकास की पैमाना को पिछली सरकारों से बेहतर बताने में ऐड़ी चोटी का जोर लगा रही है, तो वंही दूसरी ओर विपक्षी राजनीतिक दल के नेता सरकार की जनविरोधी नीतियों का गली गली में भंडा फोड़ करते हुए देखे जा रहे है। मतलब स्पष्ट है कि सामने चुनाव है, और जाहिर सी बात है,चुनाव है, तो शोर शराबा हर स्तर पर होगी चाहे, वह प्रशासनिक कार्यों के जरिए जनता से जुड़ें हुए कार्यों में कसावट हो,अथवा राजनीतिक नूरा कुश्ती के जरिए पालिटिक्स पहलवानी में दमखम रखने वाले पहलवान हो, शायद इसलिए चुनाव को भारतीय राजनीति में सब कुछ माना गया है। बहरहाल छत्तीसगढ़ राज्य के बालोद जिले में आयोजित की जा रही ’समाधान तुंहर दुआर’ शिविर के अंतर्गत 15 मार्च को बालोद जिले के अनेक ग्राम पंचायतों में ’समाधान तुंहर दुआर’ शिविर का आयोजन किए जाने की सूचना है। जिला प्रशासन बालोद के हर सरकारी महकमा गांव गांव जाकर शिविर का आयोजन कर रही है और जनता से जुड़े हुए कार्यों को निपटा रहे हैं। सरकार की मानें तो जिला प्रशासन के द्वारा आयोजित इस शिविर में आम जनता से जुड़े हुए हर छोटे बड़े प्रशासनिक कार्य जनता को उनके गृह ग्रामों में प्रशासनिक अमला के माध्यम से दिया जा रहा है। अपर कलेक्टर श्रीमती इंदिरा तोमर के माध्यम से प्राप्त जानकारी अनुसार बताया गया है कि इसके शिविर अगले चरण के अंतर्गत डौडी विकासखण्ड के ग्राम पंचायत बेलोदा, चिहरो, एवं अर्जुंदा तहसील के ग्राम पंचायत ओडारसकरी, कुरदी, गुण्डरदेही विकासखण्ड के ग्राम पंचायत जोरातराई, परसदा, सिर्री, विकासखण्ड डौण्डीलोहारा के ग्राम पंचायत खैरकट्टा, अरजपुरी तथा मार्रीबंगला तहसील के ग्राम पंचायत मुढिया, परसुली में ’समाधान तुंहर दुआर’ शिविर का आयोजन किया जाएगा। जिला प्रशासन द्वारा आयोजन को सफल बनाने हेतु सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। इसके लिए नोडल एवं अन्य अधिकारी-कर्मचारियों की ड्यूटी भी लगाई गई है। निश्चित रूप से इतना तामझाम यदि चुनाव नजदीक नहीं होता तो जमीन पर देखने को नहीं मिलता, लेकिन चुनाव सर पर है तो कर्मचारियों और अधिकारियों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे सरकार की इच्छा अनुसार काम करे। बालोद जिला प्रशासन में मौजूद अधिकारी और कर्मचारी बकायदा अपनी जिम्मेदारीयो को निभाने हेतू शिविर में समय पर पहुंच रहे हैं और जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं। साथ ही शिविर के बहाने अधिकारियों को जमीनी धरातल पर मौजूद मंजर है उसकी भी फिडबैक मिल रही हैं और जनता को उनके द्वार में सरकार की तमाम सुविधा भी उपलब्ध हो रही है। शायद इसीलिए छत्तीसगढ़ राज्य सरकार और कांग्रेस पार्टी की स्लोगन है, सेवा, जतन और सरोकार।