विनोद नेताम
रायपुर : नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर जो नजारा इस वक्त नजर आ राहा है। वह बेटी बचाओ बेटी बचाओ अभियान जैसे मुहिम की ताल ठोकने वाली भाजपा सरकार के लिए चूंलु भर पानी में डूब मरने वाली वाकैया से कम नहीं है। निश्चित रूप से देश के नामी महिला खिलाडियों के साथ यौन शोषण की घटना शर्मिंदा में डूब कर मर जाने से कम नहीं है। हां यदि भाजपा के नेता हो और उनमें से किसी एक ने यह शर्मिंदा जनक जघन्य अमानिवय अपराध को घटित किया हो तो कहा नहीं जा सकता है। चूंकि भाजपा एक संस्कारी राजनीतिक दल है। इस राजनीतिक दल को बकायदा संघ से संस्कार मिलता है। साथ ही भाजपा अनुशासित राजनीतिक दल भी है, जंहा पर अनुशासन का बोलबाला है। इसलिए शायद इनके द्वारा कहा जाता है कि दलित अपने हक और अधिकारो के लिए लड़े तो उग्रवाद, आदीवासी अपने हक और अधिकारो के लिए लड़े तो नक्सलवाद, मुस्लिम अपने हक और अधिकार के लिए लड़े तो आंतकवाद, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के लोग अपने स्वार्थ के लिए कुछ भी करे तो मिरतो यह है राष्ट्रवाद । वैसे देखा जाए तो भारत दुनिया भर के सबसे बड़ा प्रजातंत्र व्यवस्था वाला राष्ट्र है, लेकिन हकीकत के धरातल पर मंजर कुछ अलग है। हैरानी की बात यह है कि देश भर में ज्यादातर महिलाओं से संबंधित अपराधिक मामला संस्कारी राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी के संस्कार प्राप्त नेताओं पर दर्ज है।
इसका मतलब यह नहीं है कि सिर्फ भाजपा के संस्कारी नेता ही नियत चोर है। भई बड़े बुजुर्ग कह गए हैं, कि मर्द की जो जात होती है ना वह भौंरा की भांति होती है। अब भौंरा कंहा से घुंस गया यह मत पुछना बहरहाल नियत चोर भौंरा लगभग हर पार्टी में मौजूद है और लगभग हर पार्टी के नेताओं पर महिला अपराध के मामले दर्ज हैं। वैसे भी जंहा पर जिस पार्टी की सरकार होती है वंहा की कोतवाल उस पार्टी का लगवार मानी जाती है। लिहाजा कई मामले सत्ता धारी नेताओं के दर्ज ही नहीं हो पाते हैं, जबकि दूसरे राजनीतिक दलों के नेताओं की तो पुछने या बताने की जरूरत नहीं है। बहरहाल महिला अपराध का यह सिलसिला खेल के मैदान से शुरू हो कर छत्तिसगढ़ राज्य के सियासी सरजमीं तक पहुंच गई है। जंहा पर भाजपा विधायक और नेताप्रतिपक्ष नारायण चंदेल के बेटे सुभाष चंदेल पर दुष्कर्म का मामला दर्ज किया गया है। जानकारों की माने तो आरोपी चंदेल पुत्र पुलिस के गिरफ्त से अबतक बाहर है। वंही नेता पुत्र के संस्कार विहिन कृत्य को लेकर राज्य के सियासी हलकों में काफी गहमागहमी देखी जा रही है। सत्ताधारी राजनीतिक दल कांग्रेस पार्टी के नेता भाजपा के नेता पुत्र के इस घिनौने कृत्य पर जगह जगह छाती पिट कर विधवा विलाप करने में जुटी हुई है, जबकि कुछ दिन पहले सत्ता धारी राजनीतिक दल के नेता और राज्य के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू स्वंय महिला अपराध में आरोपी कांग्रेसी छूटभैये नेताओं को लेकर रामायण मंच की शोभा बढ़ाने में जुटे हुए नजर आए थे। शायद कांग्रेस पार्टी के लिए उनके पार्टी में मौजूद कांग्रेसी नेताओं के महिला अपराधिक गतिविधियों से संबंधित संस्कार अच्छे नजर आते है या फिर संस्कारी नजर आते हैं, जबकि भाजपाई संस्कारी नेता नियत चोर नज़र आते है। शायद इसीलिए छत्तीसगढ़ राज्य के धर्मस्य,लोक निर्माण व,गृह जेल मंत्री मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के मंच पर मर्यादा का नया नजरिया प्रस्तुत करते हुए देखे गए है। वैसे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुले तौर पर कहते हुए सूने जाते हैं कि उनकी सरकार राम और धर्म को लेकर राजनीति के पक्षधर नहीं है।