विनोद नेताम
पूरे गांव में सीमा ध्रुव मामले को रफा-दफा करने हेतू पुलिस को 50 हजार रुपए देने से लेकर अवैध वृक्ष की कटाई पर खबर ना प्रकाशित करने के लिए 5 हजार रुपए पत्रकारों को रिश्वत खिलाई जाने की बात गुंजेमान है। सच अब भी लापता हैं, क्योंकि जांच करने वाले लोग आज भी खुद को अंधा बने रहने में ही भलाई समझ रहे हैं। बहरहाल रिश्वत के दोनों पहलूओ पर सवाल गहरे हैं। जानने वाले इन दोनों पहलूओ का जवाब जानते है, लेकिन जिन्हें जानकर खामोश बैठे रहना उचित लग रहा है तब कौन क्या कर सकता है।
पूर्व में ग्राम पंचायत कोसागोंदी की आदीवासी महिला सरपंच को,दंबग ग्रामीण मठाधीशों की तुगलकी फरमान और सत्ता धारी राजनीतिक दल के नेताओं की अनैतिक राजनीति शिकार बनने की खबर ने सुर्खियां बटोरी थी। आलम यह था कि सरकार और जिला प्रशासन एक दूसरे सामने आ खड़ी नजर आई। खबरों की मानें तो उक्त मामले में बालोद पुलिस प्रशासन अब भी संदेह में दायरे में मौजूद खड़ी है। चूंकि मामले में पुलिस महकमा के द्वारा आज तक कोई भी कार्यवाही को अंजाम नहीं दिया गया है। महिला बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया की गृह जिला में आदीवासियों से संबंधित एवं महिलाओं से संबंधित अबतक की यह मामला सबसे बड़ी सनसनीखेज मामला बताया जा रहा है।
बालोद : किसी भी सभ्य समाज में शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान है। अच्छी बात यह है कि भारत को विश्व गुरु का दर्जा हासिल है। हालांकि भारत में शिक्षा का स्तर काफी दोयम दर्जे की मानी जाती है। शिक्षा का स्तर भारत में प्राचीन काल से एक बड़ी चुनौती है,जो आज पर्यन्त तक आजादी के 75 साल बाद भी जारी हैं। ऐसे में विश्व गुरु कहलाने की अधिकार भारत के लिए जल्दबाजी से ज्यादा और कुछ नहीं है। बावजूद इसके विश्व में समाजिक दृष्टिकोण के हिसाब पर भारत सबसे धनी राष्ट्र माना जाता है। अब क्यूं,किस प्रकार,और किनके लिए एवं किनके द्वारा यह सब मान लिया गया यह एक चिंतन का विषय है। वैसे भी देश में अनेकताओ और विविधताओं की भरमार है। यंहा मनुष्य की सम्पूर्ण जीवन समाज की मुख्यधारा में बहते हुए व्यतित्त होता है। भारत के शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण अंचल क्षेत्रों में सामाजिक जिविटता की अनेक रूप मौजूद है। कई जगहों पर समाज को गंगा की संज्ञा प्रदान की जाती है।देश के ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत मनुष्य अपने जीवन काल में अनेक तरह समाज की समाज से जुड़े कर अपनी समाजिक जिम्मेदारीयो का निर्वहन करता है। जिसमें गांव समाज,जात समाज,धर्म समाज, सहित कई और समाज शामिल है। गौरतलब हो कि भारत पुराने जमाने से रूठीवादी संस्कृति और सभ्यता के चलते संसार भर में काफी आलोचनाओं को सामना करते हुए आजतक का सफर पुरा किया है। आज के वर्तमान दौर में देश के अंदर कहने को तो रूठीवादी सभ्यता और संस्कृति का अंत हो गया है, लेकिन हकीकत के धरातल में यह कंहा तक सच है यह बताने की आवश्यकता नहीं है। मतलब स्पष्ट है कि देश के अंदर आज भी रूठीवादी सभ्यता और संस्कृति को बढ़ावा देने वाले लोग समाज के मुख्यधारा में शामिल है। मुख्यधारा में शामिल लोग अपनी रूठीवादी मानसिकताओ के चलते आज भी वही पुराना राग अलापते हुए देखा जा सकता है। स्वतंत्रता पश्चात सभी नागरिकों की सुरक्षा और अधिकारों को समान रखते हुए समानता कायम करने का बेहतर प्रयास किया गया,लेकिन रूठीवादी मानसिकताओ से लबरेज लोगों की विचारधारा संविधान निहित मुल्यो को आज भी नुकसान पहुंचाने में कामयाबी हासिल कर रहे हैं। परिणामस्वरूप विश्व गुरु होने की छवि को नुकसान उठाने का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। विडंबना यह है कि यह खामियाजा देशवासी को मुफ्त में परोसने वाला कोई दूसरा बल्कि वहीं कानून और संविधान के रखवाले है जिनकी जिम्मेदारी सुनिश्चित है बतौर इसकी रखवाली हेतू, लेकिन इनकी गैर जिम्मेदाराना व्यवहार के चलते आज देश को कई तरह से नुकसान उठाना पड़ रहा है। बहरहाल छत्तीसगढ़ राज्य की सरजंमी इन दिनों रूठीवादी मानसिकताओ से लबरेज तथाकथित महाज्ञानी मठाधीशों की काले करतूतों से हिल गई है। कानून व्यवस्था को हिलाने में भी इस धरा पर सूरक्षा की जिम्मेदारी संम्हालने वाले लोगों की हाथ होने की बात कही जा रही है। दरअसल बालोद जिला के गुरूर थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम कोसागोंदी में ग्राम समाज की दो मुही चेहरा इन दिनों सबके सामने आ खड़ी हुई है। हाल फिलहाल गांव के गोठान में लगे हरे वृक्षों को सरपंच ने बैगर पंचायत की सहमति एवं बैगर प्रसानिक अनुमति के कांट दिया है। उक्त मामले को लेकर गुरूर तहसीलदार मनोज भारद्वाज को लिखित शिकायत सौंपा गया है। सौंपे गए शिकायत पत्र में जांच की मांग रखी गई है। शिकायत पत्र के आधार पर गुरूर तहसीलदार मनोज भारद्वाज ने हल्का पटवारी को जांच का जिम्मा सौंपा है। सूत्रों के मुताबिक मामले में ग्राम पंचायत कोसागोंदी के वर्तमान सरपंच ने दस हजार रुपए लेकर अपनी गैर कानूनी मंसूबा को अंजाम दिया है। उक्त मामले को रफा-दफा करने हेतू किसी पत्रकार को पांच हजार रुपए दिए जाने की बात भी कही जा रही है। वंही पंचनामा करने गए हल्का पटवारी की गैर जिम्मेदाराना व्यवहार की बात भी सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक मामले को लिपापोती और ठंडे बस्ते में डालने हेतू पटवारी द्वारा कांटी गई लकड़ी की ठूंठ को जला देने की बात सार्वजनिक रूप से कही है। इस दौरान मामले में खुद को फंसता देख कोसागोदीं के वर्तमान सरपंच लकड़ी कांटने की अनुमति गुरूर जनपद सीईओ राजेंद्र पटौदी और क्षेत्रीय विधायक संगीता सिन्हा से लेने की बात ग्राम पंचायत कोसागोंदी में कहा है। ज्ञात हो कोसागोंदी वहीं गांव है जहां पर आदीवासी महिला सरपंच सीमा ध्रुव को गांव के दबंगों ने गैर कानूनी तरीके से बदनाम करते हुए उसे तिल तिल कर जीने के लिए मजबूर कर दिया। पूरे गांव भर में इस विधवा गरीब आदिवासी महिला को सुनने वाला कोई नहीं मिला। समस्त मानव जाति नारी की पूजा करती है। लेकिन यह भी सत्य है, कि यही समाज नारी पर अत्याचार को बढ़ावा प्रदान कर रही है। सीमा ध्रुव को ग्रामीणों का साथ नहीं मिला कोई बात नहीं, लेकिन न्याय की बराबर हकदार सीमा ध्रुव को न्याय मांगने पर कानून के रखवालों तक ने सीमा को एक सीमा में बांध दिया। समाज को बराबर न्याय पूर्ण फैसला करने का अधिकार है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि न्याय द्वेषपूर्ण होकर किसी एक के लिए सजा बन जाए।