@विनोद नेताम
रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य के मुखिया भूपेश बघेल अपने ही सरकार के सड़क निर्माण कार्य मंत्री ताम्रध्वज साहू के बयानों से अलग बयान देते हुए छा गए। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अपने सहयोगी मंत्री के कुछ दिन पहले दिए गए बयान के उलट बयान बाजी करते हुए देख सहयोगी मंत्री से लेकर अमूमन लगभग सभी लोग हैरान रह गए है। बहरहाल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस बयानबाजी के बाद एक फिर खस्ताहाल सड़क को लेकर राजनीतिक गलियारों में चहलकदमी बढ़ गई है। बिते दिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खराब सड़कों को लेकर लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों और बाबूओ की जमकर क्लास लगाई। इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी सड़कों को दिसंबर तक पूरा करने का सख्त हिदायत दिया है। अधिकारीयों से इस बाबत कहा कि कोई बहाना नहीं चलेगा हर हाल में सड़क ठीक ठाक रहना चाहिए। धीमे और सुस्त हालत में रुक कर चल रही सड़क निर्माण कार्यों में अचानक इतनी फूर्ति की क्यों आवश्यकता है यह बताने की आवश्यकता नहीं है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इस हिदायत के बाद जंहा सड़क निर्माण कार्यों में लगे बाबूओं की हालत पतली नजर आ रही है वंही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इस बयान ने लोक निर्माण विभाग मंत्री ताम्रध्वज साहू के पिछले दिनों वाली बयानबाजी का भी हवा निकाल दिया है। ज्ञात हो कि विगत दिनों पहले लोक निर्माण विभाग मंत्री एवं गृहमंत्री मंत्री ताम्रध्वज साहू और राज्यसभा सांसद एवं बीजेपी नेत्री सरोज पांडेय के मध्य खस्ताहाल सड़को को लेकर जबरदस्त तरीके से राजनीतिक विवाद खबरों में सुर्खियां बनकर छाई रही। बीजेपी नेत्री सरोज पांडेय ने रायगढ़ जिले में स्थित सड़कों की मौजूदा हालात पर विडियो बनाकर कर सरकार से सवाल पुछने की जरूरतो को अंजाम दिया था। बीजेपी नेत्री के आरोप से तमतमाए लोक निर्माण विभाग मंत्री ताम्रध्वज साहू ने आनन-फानन में विवादित बयान जारी करते हुए राज्य की सड़कों को चिकनी करार दिया था। उक्त मामले में हांलांकि विवाद थमा नहीं है जिसके बावजूद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा राज्य की सड़कों पर अधिकारियों को कड़ी फटकार गृहमंत्री,व लोक निर्माण विभाग मंत्री की बड़बोलेपन को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है। अब जब जमीनी सच्चाई को स्वंय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल स्वीकार करते हुए अधिकारीयों को नसीहत दे रहे हैं। ऐसे में ताम्रध्वज साहू का बड़बोलापन लोगों को अंदर अंदर ही कचोट रही है। सूत्रों की मानें तो दिसंबर तक आधी अधूरी सड़कों को पूर्ण रूप से पूरा कर पाना लोहे की चने चबाने की जैसी स्थिति है। चूंकि ज्यादातर सड़क निर्माण कार्यों में लगे हुए कंपनियों से आगामी विधानसभा चुनाव मद्देनजर चुनावी चंदा का भी इंतजाम होना है। अतः सड़क निर्माण कंपनियों की कार्यो पर ज्यादा रफ्तार देखने की मंशा महज चुनावी तूर्रा साबित हो सकती है। सर्व विदित है कि राज्य की सत्ता में जिस पार्टी की सरकार बनती है उसी पार्टी से समर्थित लोग चाहे वह पार्टी स्तर का नेता क्यों ना हो निर्माण कार्यों का ठेंका उन्ही को मिलता है। यानी कि निर्माण कार्यों में सीधे सीधे कमीशनखोरी अब वार्ड पंच से लेकर मंत्री तक को निर्माण कार्यों का परसेंटेज मिलता है।अब ऐसे में निर्माण कार्यों की गुणवत्ता का अंदाजा लगाया जा सकता है। पंचायत स्तर से लेकर मंत्री लेवल तक परसेंट का बंटवारा निर्माण कार्यों की गुणवत्ता में भारी बाधक है। अतः जन मानस को परसेंट वाली निर्माण कार्यों का विरोध करते हुए निर्माण-कार्यों में नेता टाइप ठेंगादारो की इंन्ट्री पूर्ण रूप से बंद करना चाहिए ताकी जनता की मेहनत और पसीने से कमाई हुई पैसा का इस्तेमाल सही तरीके से हो पाए।