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क्या कुलदीप शर्मा तूएगोंदी मामले में न्याय के पक्ष में खड़ा होंगे?

            विनोद नेताम    
 बालोद : बालोद जिला के बहुचर्चित मामला जिसकी गूंज एक समय से पूरे राज्य भर में आज भी गूंजे मान है। न्याय की मांग और अन्याय की पराकाष्ठा पर निकलती हुई चिख चिल्ला चिल्ला कर इंसाफ की पुकार के आवाज को बुलंद कर रही है। आज भी इस मामले को लेकर समाज के विभिन्न हिस्सों में नाराजगी साफ देखा जा सकता है। 1 मई 2022 को तूएगोंदी में घटित घटनाक्रम को कौन भूल सकता है। यदि कोई भूला है तो वह बालोद जिला प्रशासन में बैठे आला अधिकारी और राज्य की सत्ता पर काबिज सरकार है जिन्हें तूएगोंदी सहित आसपास के अन्य गांव में निवासरत ग्रामीणो की मांग आज भी नजर नहीं आ सकी है। शायद इसलिए यंहा के बासिंदे अपने आप को शासन और प्रशासन से ढगा हुआ महसूस कर रहे है जबकि शासन और प्रशासन में बैठे हुए लोगों की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वे लोग इनकी मांगों पर विचार करें। शासन और प्रशासन जनता की सेवा हेतू निर्मित की गई है लेकिन तूएगोंदी मामले में शासन और प्रशासन की भूमिका लोगों को जिस तरह से देखने को मिली है वह निश्चित रूप से अकल्पनीय है। पूरे चार साल तक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राज्य में घुम घुम कर छतिसगढ़ीहा वाद की हवा भर रहे है। छत्तीसगढ़ राज्य की संस्कृति और सभ्यता की दुहाई देते हुए करोड़ों रुपए कर्ज के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पानी की तरह बहा दिया है, जबकि हकिकत के धरातल पर तूएगोंदी मामला ने स्पष्ट रूप से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस पार्टी के द्वारा भरी जा रही छतिसगढ़ी वाद की इस हवा को फूंस कर दिया है। अलबत्ता उक्त मामले को लेकर मौजूदा सरकार से पहले नाराज चल रहे कई समाजिक संगठनों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा को और ज्यादा मजबूत कर दिया है। मशलन आदीवासी समुदाय से जुड़े लोगों का अनेक समूह। आगे आने वाले दिनों में छत्तिसगढ़ राज्य में विधानसभा चुनाव सम्पन्न होना है। ऐसे में शासन और प्रशासन के लिए आम जनता के मध्य विचार बढ़िया रहना चाहिए, ताकि आगामी विधानसभा चुनाव में इसका भरपूर फायदा उन्हें मिल सके । बकायदा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस कवायद को पूरा करने में जी जान से जुटे हुए हैं, भेंटवार्ता मुलाकात कार्यक्रम के जरिए। चूंकि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान छत्तिसगढ़ीहा क्रांति सेना की छतिसगढ़ीहा वाद की लहर ने बतौर कांग्रेस पार्टी को काफी मजबूती प्रदान किया था। लिहाजा इस बार तूएगोंदी मामले से संबंधित जुड़े हुए मामले में अमित बघेल को सरकार ने जेल यात्रा पर भेज दिया है जिसके चलते छत्तिसगढ़ क्रांति सेना और कांग्रेस पार्टी एवं मौजूदा सरकार आमने-सामने हैं। परिणाम स्वरूप छतिसगढ़ीहा क्रांतीसेना की तमाम पलटन कांग्रेस पार्टी के विरोध में खड़ी हुई नजर आ रही है। वंही भारतीय जनता पार्टी के 15 साल की सत्ता से नाराज हो कर आदीवासी समाज ने मौजूदा सरकार पर भरोसा कायम किया था लेकिन सरकार की समाज विरोधी मानसिकता ने आदीवासियों को कांग्रेस पार्टी से काफी दूर ला खड़ा किया है। ऐसे में तूएगोंदी मामले को लेकर ज्यादा चुप्पी साधे रखना सरकार के लिए कड़ी चुनौती बन कर उभर रही है। विदित हो कि 1मई 2022 को जामड़ी पाटेश्वर धाम के आड़ में एक तथाकथित स्वंभू महात्यागी बाबा ने कथित तौर पर घटना को अंजाम देने हेतू बाहर से गुंडो को बुलाकर तूएगोंदी के ग्रामीणों पर हमला करवाया था। घटनाक्रम के बाद से उक्त महात्यागी बाबा तरह तरह के पाखंड और दिखावा करते हुए मामले में सहानुभूति अर्जित करने का प्रयास करता राहा है। बाबा के भक्तों में ज्यादातर सफेद वर्दी धारी सफेदपोश नेताओं का झूंडो की भरमार होने की बात सर्व विदित है। तूएगोंदी मामले के विरोध में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करने हेतू मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिता श्री नंदकुमार बघेल तक के लिए तथाकथित संत ने अपशब्दों का इस्तेमाल किया था जिसके बावजूद मजाल है किसी माई का लाल में की वह इस बाबा को कुछ बोल सकें। आखिरकार तथाकथित बाबा के आगे कानून क्यों है नतमस्तक आखिर शासन और प्रशासन में बैठे हुए लोगों को बाबा ने कौन सा चुप्पी साधने का बुटी पीला दिया है, जिसके चलते विभिन्न समाजिक संगठनों के साथ तूएगोंदी के ग्रामीणों की मांग आज भी अधूरा पड़ा हुआ फर्जी बाबा फर्जी बाबा चिल्ला राहा है। समाजिक संगठनों से जुड़े हुए पदाधिकारियों की मानें तो जिला प्रशासन में बैठे हुए अधिकारी उक्त मामले को लेकर उपर से दबाव में रहते हैं। शायद उपरी दबाव के चलते गरीब आदिवासीयो को फर्जी बाबा के चेले चपाटों से पिटने हेतू दोबारा भी भेज दिया जाए तो कोई संदेह नहीं होना चाहिए। चूंकि उपर के हिसाब से निचे पर कार्य करने वाले लोगों की कार्य प्रणाली एक दिन उपर से दबाव देने वाले लोगों को ही भारी पड़ते हुए नजर आ राहा है। ऐसे में उपर से दबाव देकर निचे वाले लोगों को कार्यवाही से रोकने वाले लोगों को आगे आने वाले दिनों की विधानसभा चुनाव के तरफ भी ध्यान देना सही होगा। जिला में हाल-फिलहाल नविन कलेक्टर का पदभार ग्रहण संपन्न हुआ है। आगे आने वाले दिनों में छत्तिसगढ़ सरकार को तेजी से काम दिखाने की आवश्यकता है। ऐसे में जिला प्रशासन के बतौर मुख्य अधिकारी जिला कलेक्टर कुलदीप शर्मा के लिए भी लोगों की नाराजगी को समझना आवश्यक है। अब देखना यह है कि आगे आने वाले दिनों में इस मामले को लेकर क्या स्थिति बनी रहती है।

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