भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले एक महीने में बहुत तेज़ी से घटा है, 2 सितंबर 2022 को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 553.105 बिलियन डॉलर था और आज ख़बर आई है कि 23 सितंबर को समाप्त हुए कारोबारी सप्ताह में भारत का फॉरेक्स रिजर्व घटकर मात्र 537.518 अरब डॉलर रह गया है।
यानि मात्र तीन हफ्ते में ही 16 अरब डॉलर के आसपास की कमी देश के मुद्रा भंडार में आई है पहले कभी इतनी तेज़ी से देश का विदेशी मुद्रा भंडार नही घटा है।
दो दिन पहले ही अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ एआईबीईए के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने इंदौर में संवाददाताओं से कहा है कि सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के कारण देश का विदेशी मुद्रा भंडार कम होता जा रहा है। हमारा आयात लगातार बढ़ रहा है, जबकि निर्यात घटता जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर हम विदेशी मुद्रा भंडार घटने की समस्या की यूं ही अनदेखी करते रहे, तो वह दिन दूर नहीं, जब हमें श्रीलंका जैसे बुरे आर्थिक हालात का सामना करना पड़ सकता है। विदित हो कि पिछले दिनों श्रीलंका में आर्थिक मंदी के चलते बहुत कुछ देखने को मिल चुका है। श्रीलंका आज भी उस दौर से निकल नहीं पाई है तो वंही अन्य और दूसरे कई देश है जहां पर श्रीलंका की जैसी स्थिति लगभग बनने की कगार पर है। लोग बढ़ती हुई मंहगाई और आर्थिक मंदी से काफी परेशान हैं। मंदी की इस दौर में विकसित देशों तक की आर्थिक बुनियाद हिल चुकी है। ऐसे में भारत जैसे गरीब और विकासशील देश के लिए मंदी कितना घातक साबित होगा यह बताने की आवश्यकता नहीं है। नोटबंदी के बाद से वैसे भी देश भर में लाखों लोगो की नौकरीयां निलाम हो चुकी है। लोग गरीबरेखा के नीचे से उबर रहे थे वे लोग वापस गरीबी की दलदल में धंस चुके हैं। ऐसे में सरकार को सचेत रहते हुए नागरिकों की भलाई हेतू कदम उठाना चाहिए ताकि मंदी की इस दौर में आम जनता को कम-से-कम मूलभूत सुविधाओं का लाभ बेरोकटोक जारी रह सकें। आने वाले समय में देश के अंदर चुनाव है और हर चुनाव में करोड़ों रुपए खर्च किए जाते रहे है। चूंकि चुनाव खत्म हो जाने के बाद ज्यादातर आम जनता को सिर्फ झूनझूना पकड़ने को मिलता है। लिहाजा मंदी की दौर में कौन सा राजनीतिक दल उबर पाता है यह देखने वाली बात होगी फिलहाल आंशका जताई जा रही है कि बढ़ती हुई मंहगाई से आम जनता हताहत है।