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न्याय पालिका के सामने हकिकत का नंगा नाच ।

          विनोद नेताम                   
 सुरजपुर -: लोकतांत्रिक व्यवस्था के जनक होने पर हर भारतीय अपने आप को गौरवान्वित महसूस करता है। निश्चित रूप से जब देश के अंदर लोकतांत्रिक मर्यादाओं को खुलेआम कुचलने का एक दौर जब चल रहा हो और उसके बावजूद भी यदि आम जनता को देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर भरोसा और यकिन बना हो तब तो वाकई गौरवांवित होने की वजह को समझने की आवश्यकता है। छत्तिसगढ़ राज्य जंहा की धरती अमीर है लेकिन धरती पर बसने वाले लोग गरीब है। गौरतलब हो कि भारतीय लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर मजबूती से टिके रहने वाली मिडिया भी इस राज्य में गरीबी से जूझ राहा है। यंहा स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि गरीबी का मायने ना सिर्फ आर्थिक कारण है बल्कि मानसिक कारण भी हो सकता है, जिसके चलते गोदी मिडिया का वजूद इस गरीब राज्य में भी देखा जा राहा है। अतः खबर पर आगे बढ़ते हुए हम आपको पुनः खबरो की ओर ले चलते हैं। दरअसल विगत कई दिनों विभिन्न प्रकार की आपराधिक मामलों के आरोप में कानूनी अभिरक्षा के अंदर जेल में बंद है। इस दौरान भारत सम्मान के संपादक जितेंद्र कुमार जसवाल को अम्बिकापुर के न्यायलय में पेशी हेतू लाया गया था। इस बीच फिल्मी इस्टाइल में शहर का गुंडा के नाम से मशहूर मजहर नामक व्यक्ति ने जितेंद्र कुमार जसवाल पर हमला कर दिया। पेशी के दौरान जितेन्द्र कुमार जसवाल के साथ उपस्थित पुलिस के जवानों ने बिच बचाव किया तब जाकर एक पत्रकार को भरे न्यायालय के सामने प्रस्तुत किया जा सका है। निश्चित रूप से लोकतांत्रिक व्यवस्था पर गौरवान्वित महसूस करने वाले भारतीय नागरिकों के लिए यह कृत्य लज्जित महसूस करने लायक है। घटना ने समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि कानून के अभिरक्षा में मौजूद व्यक्ति पर इस तरह कैसे कोई घटना को अंजाम देने की हिमायत कर सकता है। लिहाजा यह घटना कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी संम्हालने वाले लोगों के गाल पर तमाचा है। वास्तव में यदि देखा जाए तो यह घटना जितेंद्र कुमार जसवाल की बेगुनाही को दुनिया के सामने ला खड़ा किया है। चूंकि जितेन्द्र कुमार जसवाल काफी लंबे समय पहले से उन्हें किसी फर्जी घटना में फंसाए जाने की आंशका जाहिर चुके थे अतः इस घटनाक्रम के बाद उन पर लगाए गए सभी आरोप लोगों को फर्जी नजर आ रहे है। चूंकि तमाम मामले में न्यायालय सुनवाई कर रही है लिहाजा हम घटना से संबंधित विषयों पर चर्चा करते हैं। घटना से संबंधित विषयों को अम्बिकापुर न्यायालय में मौजूद माननीय न्यायाधीश महोदय को तत्काल अवगत कराया गया है। मिली जानकारी के अनुसार माननीय न्यायाधीश ने मौखिक रूप से पुलिस महकमा को मामले में कार्यवाही करने हेतू निर्देश दिया है। वंही जेल में बंद पत्रकार जितेंद्र जसवाल ने भी पुलिस महकमा को शिकायत पत्र दिया है,जिसके बावजूद पुलिस महकमा द्वारा न्यायालय के सामने पेशी के लिए ले जा रहे पत्रकार की शिकायत पर गंभीरता से विचार नहीं किया है। परिणाम स्वरूप खुलेआम कानून की धज्जि उड़ाने वाला व्यक्ति शान से शहर में घुम रहा है जबकि कानूनी अभिरक्षा में मौजूद व्यक्ति की सूरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस विभाग की है। ज्ञात हो कि भारत सम्मान अखबार के संपादक जितेंद्र कुमार जसवाल बेबाक तरीके से पत्रकारिता को परिभाषित करते हुए लगातार समाज के विरुद्ध अनैतिक गतिविधियों को संचालित करने वाले लोगों का पर्दाफाश कर रहे थे। इस बीच जितेंद्र कुमार जसवाल को विभिन्न मामलों में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। जितेंद्र कुमार जसवाल के जेल जाने के बाद भी समाज में गंदगी फैलाने वाले लोगों की मानसिकता में बदलाव नहीं हुआ है जिसके चलते जितेंद्र कुमार जसवाल के साथ इस तरह की गंभीर घटणा को अंजाम देने के फिराक में लगे हुए हैं। जितेंद्र कुमार जसवाल के साथ घटित हुई यह घटना समाज के लिए सबक है, क्योंकि समाज जल्द ही गलत लोगों के चक्कर या झांसे में आकर सदैव निर्दोषों के साथ गलत व्यवहार के लिए जाना जाता राहा है। छत्तीसगढ़ राज्य के अंदर मौजूद बालोद जिला में भी वर्तमान समय के दौरान दो पत्रकारों को जेल भेजा गया है। इन दोनों पत्रकारों को जेल पहुंचाने में अपराधिक गतिविधियों में शामिल लोगों का हाथ होने की बात कही जा रही है। ऐसे में पत्रकारिता के क्षेत्र में निर्भर्यता से कार्य करने वाले लोगों के मन में काफी डर व्याप्त है। कांग्रेस पार्टी की सरकार ने राज्य में फ्री प्रेस का माहौल बनाने की बात कही थी लेकिन मौजूदा दौर में प्रदेश के अंदर लगातार पत्रकारों के साथ दमनकारी नीतियों के तहत व्यवहार किया जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी आगे आने वाले समय में अपने आप को आम जनता के मध्य क्या साबित कर पायेगी यह कहना फिलहाल मुश्किल है।

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