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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा प्रिंसिपल का निलंबन कार्यवाही है या फिर महज दिखावा ?

        विनोद नेताम           
  बालोद :- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इन दिनों भेंटवार्ता मुलाकात कार्यक्रम के अगले पड़ाव में जिला वासियों के मध्य अपनी सरकार की कार्यकाल का उपलब्धियां गिनाते हेतु बालोद जिला के विभिन्न जगहों में इस कार्यक्रम के जरिए मौजूद है। इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लोगों से मिल रहे है और उनकी समस्याओं को सुनकर निराकरण भी कर रहे‌। बालोद दौरे में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का जबरदस्त स्वागत किया गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस दौरान बालोद जिला को विभिन्न प्रकार के विकास कार्यों की सौगात दी है। लोगों ने मुख्यमंत्री को छत्तीसगढ़ के पारंपरिक पकवान से कार्यक्रम के दौरान तराजू पर तौला और उन्हें सम्मान देने का प्रयास किया है। भेट मुलाकात कार्यक्रम के तहत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल गुंडरदेही विधानसभा के गांव जेवरतला पहुंचे थे। लोगों से मुलाकात के दौरान सरकार की योजनाओं की जानकारी दी। इस दौरान प्रभारी मंत्री उमेश पटेल, संसदीय सचिव कुँवर सिह निषाद के अलावा कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक मौजूद थे। इस बीच पिंकपार स्कूल से बड़ी संख्या में पहुंची छात्राओं ने अपनी समस्या से मुख्यमंत्री को अवगत कराया। स्कूल में 12वीं कक्षा की पढ़ाई करने वाली छात्रा सुहानी यादव ने प्रिंसिपल की शिकायत की, जिस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तत्काल संज्ञान लेते हुए निलंबन की कार्रवाई को दुरुस्त किया। मिली जानकारी के अनुसार उक्त मामले में शिक्षा विभाग के द्वारा शासकीय पिनकापार में पदस्थ प्रिंसिपल को पूर्व में शाला से स्थानान्तरण कर दिया गया था। चूंकि स्थानान्तरण के बावजूद प्रिंसिपल शाला में डटी रही और शाला से हटने का नाम नहीं ले रही थी लिहाजा उसे लेकर आम जन धारणा गलत ही होगी। हालांकि शिकायत के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा कार्यवाही की गई है। चूंकि प्रिंसिपल की तबादला को अमलीजामा पहनाने वाला शिक्षा विभाग प्रिंसिपल की लापरवाही पर इतने दिनों तक चुप बैठा राहा अतः विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर भी सवाल उठाए जाना लाजमी है। क्या शिक्षा विभाग बालोद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा उक्त मामले में निलंबित की कार्यवाही को सुनिश्चित करने हेतू इंतजार में इतने दिनों तक चुप बैठा हुआ था? शिक्षा विभाग बालोद वैसे भी विगत कुछ दिनों से चर्चा में जबदस्त तरीके से बना हुआ है। चर्चा का कारण भी जबदस्त है, लापरवाही जिसका ताजा उदाहरण पिनकापार सरकारी स्कूल में स्पष्ट रूप से देखने को मिला है। ऐसे में शिक्षा विभाग बालोद की कार्यप्रणाली लेकर आम जनता के मध्य काफी कुछ चर्चा कहीं व सुनी जा रही है। ज्ञात हो कि शिक्षा विभाग बालोद की लापरवाही को विगत दिनों प्रमुखता से प्रकाशित करने का प्रयास हमारे द्वारा किया गया था। जिसके बावजूद शिक्षा विभाग बालोद के मूंह में महिनों से जमी हुई दही पिघलने का नाम नहीं ले रही है। दराशल जिले के गुरूर विकासखंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत मोखा के सरकारी स्कूल में पदस्थ शिक्षकों को लेकर शाला प्रबंधन समिति के द्वारा महिनों पहले एक शिकायत पत्र सौंपा गया था। उक्त शिकायत इतना गंभीर और विवादित है कि मामले में शिक्षा विभाग बालोद को तत्काल गंभीरता से संज्ञान लेते हुए मामले में जांच करना चाहिए था लेकिन लापरवाही का आलम विभाग में इस तरह घर करके बैठी हुई है,कि विभाग को कितने बार भी इस मामले को लेकर सवाल पुछ लो विभाग की ओर से ना तो ऊंउ निकलता है और ना ही आह। अब विभाग इस शिकायत पत्र पर मूंह में दही जमा कर इतने दिनों तक चुप क्यों बैठी हुई है यह सोचने वाली बात है। बहरहाल छत्तिसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के भेंटवार्ता मुलाकात कार्यक्रम का अगला पड़ाव गुरूर विकासखंड मुख्यालय में है। जंहा उक्त मामले को लेकर शिक्षा विभाग बालोद और शिक्षकों की शिकायत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सामने किया जा सकता है। अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जिले के गुण्डरदेही विकासखंड क्षेत्र के पिनकापार वाले प्रिंसिपल की तरह इस मामले में क्या एक्सन लेता है।

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