@बालोद नेताम
बालोद : छत्तीसगढ़ राज्य के मुखिया बालोद जिला की पावन धरा में विगत दिनों लोगों से भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान बड़े उत्साह पूर्वक मिलते जुलते हुए देखे गए। इस बिच मुखिया जी जिला के तीनो विधानसभाओं में आयोजित रैलीयों और कार्यक्रमों के दौरान लोगों में काफी जोश भरते हुए भी नजर आए थे। आखिरकार मुखिया जी की सख्यित ही भी जबदस्त है। कई बार वे खुले मंच पर भूलन द मेच वाली आ रा रा रा ता ता छो गुणगुणा चुके है लिहाजा लोग उनकी मजाकिया अंदाज से परिचित हैं। हालांकि इससे पहले कई दफ्फा जिला वासियों को मुखिया जी का दिदार हुआ है,लेकिन इस बार की मुलाकात को लेकर लोगो में उत्साह कुछ अलग तरह की नजर आई। इसे प्रशासनिक जुगाड़ की तौर पर भी देखा जा सकता है। चूंकि इससे पहले जिला प्रशासन ने जुगाड़ पर अच्छा प्रेक्टिकल किया था। अतः मुखिया के आगमन पर जुगाड़ में कामयाबी मिलना स्वाभाविक है। दरअसल कुछ दिन पहले जिला के राजनीतिक रण क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत पलारी निवासी उतम साहू पिता बिसेसर साहू।ऊर्फ(सट्टा राजा) का मकान विधायक दौरा से ठीक पहले तहस-नहस कर ग्रामीणों की संवेदना हासिल करने का जुगाड़ सफल हुआ था। हालांकि उत्तम साहू पर कई आरोप पूर्व में लगाए गए हैं, जिसमें सट्टा राजा का आरोप मुख्य रूप से है। उतम साहू का यह कारोबार फिलहाल प्रशासनिक कार्यवाही से बंद बताया जाता है। बहरहाल लोग इस बार बढ़ चढ़कर मुखिया जी के स्वागत में तन मन धन सब कुछ अर्पन करते हुए मुखिया जी के आव भगत में जुटे रहे। वैसे छत्तिसगढ़ राज्य में पितर पक्ष के दौरान कौंवा को भोजन खिलाने का रिवाज हैं। शायद इसलिए लोग पितर के दिन कौओं को भोजन खिलाने हेतू कौओं के आगे पिछे दौड़ते भागते हुए देखे जाते हैं। इस बार जिला में भेंट मुलाकात हेतू मुखिया का आगमन पितर पक्ष के दौरान हो गया था। कई लोग इस वर्ष पितर के दौरान कौंआ को भोजन नहीं करा सके हैं। चूंकि जिस समय लोग पितर भोजन देने हेतू कौंवा के पिछे दौड़ भाग थे ठीक उसी दौरान उनके घरों में मुखिया जी आगमन हो गया। अब ऐसे में लोग कौंवा के पिछे दौड़ लगाने की जगह मुखिया जी को ही भोजन खिलाने में व्यस्त दिखे, फिर भी लोगों को खुशी है कि इस बार वे लोग मुखिया जी भोजन करा पाए। जिला के तीनो विधानसभाओं के चारों ओर लोग मुखिया जी के इंतजार में ऐसे बैठे हुए नजर आ रहे थे। जैसे किसान बारिश के इंतजार में अपने खेत के मेढ़ पर खड़े होकर बारिश की बूंदों के लिए आंसमा की ओर देखता है। यह सत्य है कि किसान के द्वारा उपर आसमां की ओर देख लेने से बारिश नहीं हो सकता है। इसी तरह मुखिया जी के आगमन के साथ लोगों के घरों में खाना खा लेने से पितृदोष से संबंधित समस्या और जिलावासियों की अन्य समस्याओं का निराकरण संभव नहीं है। मुखिया जी एक ओर लोगों से मिलने के दौरान काफी खुश नजर आ रहे थे क्योंकि लोग उन्हें मुखिया के तौर पर देख कर काफी खुश लग रहे थे। लेकिन इस दौरान मुखिया जी की नजर लोगों की समस्याओं पर व जिला प्रशासन की नाकामीयो को भी गिनने में लगी हुई थी। निश्चित रूप भूपेश बघेल सरकार छत्तीसगढ़ राज्य की धरा में यदि बेहतर करने का प्रयास किया है और उन प्रयासों का परिणाम समस्याओ का अंबार हो तब जिला प्रशासन की नाकामी गिनना मुखिया की जिम्मेदारी ही नहीं जवाबदेही भी है। बालोद जिला में आयोजित कार्यक्रम की समाप्ति पश्चात् मुखिया जी राजधानी पहुंचते ही राज्य में अवैध तरीके से संचालित सट्टा कारोबार पर रोक लगाने हेतू कमर कस चुके है। मुखिया ने पुलिस महकमा को सख्त हिदायत देते हुए कहा है कि इस तरह के अवैध कारोबार पर रोक लगना चाहिए। गौरतलब हो कि अवैध सट्टा कारोबार पर पहले भी कई बार ऐसे बयान नेताओं और अधिकारियों के मूंह के मुखारविंद से निकलते रहे। जिसके बावजूद यह कारोबार दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करते हुए देखा गया है अतः आम जनता को मुखिया की बात पर थोड़ा कम विश्वास है। लोगों की मानें तो चार साल तक सब चुपचाप तमाशबीन बने रहे और जब चुनाव सर पर खड़ा है तब मुखिया जी सेखी बघारने में लगे हुए हैं।