विनोद नेताम
खेत में काम करने वाले आदमी से एक तिलक लगाएं और रूद्राक्ष की माला पहने एक व्यक्ति ने जात क्या पूछली......
........ #कुत्ते भौंकने लगें
.........#कौआ चिखने लगे
......... #लोमड़ी मुस्कराने लगी*
.........बंदर नाचने लगे।
ये सब देखकर जाति पूछने वाले व्यक्ति ने चिंताजनक स्थिति में सवाल किया..... #तुम सब प्राणी जानवर ऐसा कृत्य क्यूं कर रहे हो ?
सारे पशु - पक्षी एक साथ बोल उठे ......
हम तो आप दोनों को मनुष्य ही समझ रहें थे, .......आपकी भी जात होती है, आज मालूम हुआ! इससे पहले कि वो उजले कपड़े पहने हुआ व्यक्ति कुछ कह -सुन पाता.......
*कुत्ता बोला* ..... "तुम कितने पापी और पाखंडी हो?"
....."जात पूछकर बात करते हो, तुमसे अच्छे तो हम हैं एक दूसरे की जाति जानने के बाद भी एक साथ रह लेते हैं।"
#कौआ गुस्से से बोला*..... "मैं कितनी ही जाति के जानवरों की पीढ पर जा बैठता हूं और वो मेरी जाति जानकर भी मेरा विरोध नहीं करते..... और तुम स्वयं मनुष्य हो कर दूसरे मनुष्य से जात पुछते हो डूब मरो ।"
#गुस्से से लाल मुंह करें अब बंदर कहने लगा....."हम सभी अलग-अलग जातियों के पशु -पक्षी एक साथ एक ही तालाब में पानी पीते और स्नान करते हैं.... खेलते हैं अच्छा है ईश्वर ने हमें मनुष्य नहीं बनाया ।"
"आज तुम्हें देखकर शर्म आ रही है।"
.......ये सब सुनकर जाति पूछने वाला व्यक्ति नजरें गड़ाए आगे के लिए कदम बढ़ा ही रहा था कि #लोमड़ी ने रोकते हुए कहा*........
"जिस आदमी के बने कुआं और तालाबों से पानी पीते हो उससे जाति पूछने में शर्म नहीं आती?"
"जिस आदमी के हाथों उगाएं अन्न से पेट भरते हो उससे जाति पूछने में जरा सी भी लज्जा नहीं आती तुम्हें?*"
"जिस आदमी के द्वारा निर्मित मकानों में रहते हो, उनसे जात पूछने पर तुम डूब कर मर क्यूं नहीं जाते?"
"जिस आदमी के निर्माण से तुम्हारी आस्था के मंदिर चमक रहें हैं, उससे जाति पूछने पर तुम्हें मौत क्यूं नहीं आ आती?"
"जिस आदमी ने तुम्हारे नंगें बदन के लिए कपड़ा और कंकर ,पत्थर और शूलो की चुभन से बचाने के लिए जूते बनाएं उनसे जाति पूछने जैसी बेशर्मी लाते कहां से हो?"
"जिस आदमी ने तुम्हारे भोजन और स्वास्थ्य के लिए फल, सब्जियां, औषधियां के साथ - साथ तुम्हारे सम्मान के लिए भिन्न भिन्न प्रकार के कष्ट उठाता हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य के बालोद जिला अंतर्गत तूएगोंदी गांव में विगत कुछ माह पहले भंयकर जाती वाद,धार्मिक उन्माद का तांडव देखने को मिला है! बताया जाता है,कि उक्त तांडव एक तिलकधारी की असिम कृपा से आयोजित की गई! आयोजन में आये सारे मेहमानों के लिए उक्त तिलक धारी द्वारा जहरीली खिचड़ी बनवाया गया!इस दौरान जहरीली खिचड़ी को खाने हेतू समाज के मध्य में बैठे मनुष्यरूपि राक्षस भी नजर आये!तिलकधारी की जहरीली खिचड़ी को खाने के बाद सभी राक्षस तूएगोंदी में रहने वाले मनुष्यों से पुछने लगे कौन_जात_हो_भाई.. 'समस्त संसार भर में धरा,अग्नि,हवा,जल,वायु ईश्वर के रूप में साक्षात विद्यमान है! समस्त संसार के लोग इन्हें ही ईश्वर का स्वरूप रूप मानते हैं ! ऐसे में तिलकधारी और उसकी जहरीली खिचड़ी को खा कर दूसरे मनुष्यों की जात पुछ कर धार्मिक उन्माद फैलाने वाले राक्षसों को आप क्या सलाह देंगे स्वंय विचार करें