विनोद नेताम
रायपुर : छत्तिसगढ़ के मशहूर उपान्सकार लेखक संजीव बख्शी के द्वारा लिखी गई उपन्यास भूलनकांदा पर आधारित छत्तिसगढ़ फिल्म 'भूलन द मेज' जूम्मा जूम्मा कुछ दिन पहले वजूद में आई है,जिसे देखने छत्तिसगढ़ के पुरा मंत्री मंडल एक साथ सिनेमा हाल में गए थे! 'वैसे भूलन कांदा (Bhulan Kanda ) छत्तीसगढ़ के जंगलों में पाये जाने वाला एक पौधा है! जिसपर पैर पड़ने से इंसान सब कुछ भूलने लगता है! रास्ता भूल जाता है,इधर उधर वहीं भटकने लगता हैं! इस दौरान कोई दूसरा इंसान जब आकर जब उस इंसान को छूता है,तब फिर वो होश में आता है! वैसे इस फिल्म को देखने के बाद छत्तिसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 'भूलन द मेज' फिल्म की तारीफ करते नहीं थक रहे है! खुले तौर पर कई दफा भूपेश बघेल फिल्म के गीतों को गुणगुनाते हुए अकसर देखे जाते है!
जिसे देखकर यह समझा जा रहा है,कि भूपेश बघेल की 'भूलन द मेज' फिल्म पर फिल्माई गई गीतो में विशेष दिलचस्पी है,क्योंकि यह फिल्म ही सर चढ़कर बोलने लायक बनाई गई है ! फिल्म की गानों पर उनकी विशेष दिलचस्पी विरोधियों को भी इन दिनों खासा लूभा रही है! लोगो की मानें तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रदेश जंगलों में पाई जाने वाली भूलनकांदा की बेल को पैरों से खूंद कर सूधबुध गंवा चुके है! वैसे देखा जाए तो विरोधियों के द्वारा भूपेश बघेल को लेकर जो बात कही जा रही हैं,वह बात उन पर इन दिनों बिलकुल फिट बैठते हूए नजर भी आ रही है! अब ऐसे में कांग्रेस पार्टी हाईकमान को वर्षों की लंबी इंतजार और कठिन संघर्षों के बाद मिली सत्ता को भूलन बेल को खुंदकर सूधबुध गंवा चुके नेता के हाथ में सौंपना कंहा तक कारगार है,यह पार्टी हाईकमान के लिए सोचने वाली बात है! वैसे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सूधबुध पर सिर्फ लोग ही सवाल नहीं उठा रहे है,बल्कि सरकार के ढाई साल पूरा होने के बाद से अबतक लगातार प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े नेता केबिनेट मंत्री टी एस सिंहदेव देव भी कह रहे है ! सब भूल गए हैं,जो तय हुआ था वह पूरा नहीं हुआ है! तय नियम के अनुसार बनाई गई नीति का पालन नहीं हुआ है! नीति क्यों और किसलिए बनाई यह समझ के परे है लेकिन सब भूल गए हैं! बहरहाल राजनीतिक पंडितों की मानें तो इस तरह की लक्षण भूलनकांदा की बेल को राजनीतिक इच्छा पूर्ति की नियत से खूंदने के बाद व्यक्ति में पाई जाती है! राज्य में कांग्रेस पार्टी के बतौर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार बनने के बाद निश्चित रूप से प्रदेश के अंदर कई अच्छा कार्य हुआ है! जिसके चलते राज्य में आज घुरवा के दिन भी बौरते हूए देखा जा सकता है!अब जब घुरवा के दिन तक राज्य में बौराने की जैसी स्थिति बन गई है,तब वे लोग जो वर्षों से उपेक्षा,गरीबी,लाचारी से बेहाल बेदम पड़े हुए थे 'उनकी भी बौरने की इच्छा जागृत होना स्वाभाविक है! विंडम्बना यह है कि भूलनकांदा की चपेट में आने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पार्टी के द्वारा बनाई गई चुनावी घोषणा पत्र की पूर्ण स्थिति और अपूर्ण स्थिति पर ध्यान देने से भी बचते हुए नजर आ रहे है! ऐसे में बौराने की इच्छा पाले बैठे लोगों की उम्मीद कंहा तक सही है यह समझना आसान है! वैसे ये लोग भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तरह उनकी ओर देखते हुए गाना गुनगुना रहे है 'ये पाटन के राजा दाऊ छत्तिसगढ़ के जनता तोर कैसन लागे रे,तोर कैसन लागे लबर लोर लोर, रायपुर हर तोर तोर राय झुम झुम बांस...झूमर जा पड़की झूमर जा! मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भूलन बेल की चपेट में इस तरह से गिरफ्त है,कि उन्हें इस वक्त सिर्फ मुख्यमंत्री की कुर्सी के अलावा लोगों की गुणगुनाते हुए गीत सुनाई नहीं दे रहा है! यह सर्व विदित है,कि भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस मुक्त अभियान की सफलता हेतू दिन रात मेहनत कर रही है,जिसके चलते कांग्रेस पार्टी का किला एक एक धराशाई होकर गिर रही है! कांग्रेस पार्टी के अंदर मौजूद ज्यादातर नेताओं की नेतागिरी इन दिनों ईडी और सीबीआई जैसी केन्द्रीय जांच एजेंसियों के फाईलों में बंद है! ऐसे में छत्तिसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की विचारधारा के उलट छत्तिसगढ़ राज्य के अंदर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं साथ मिलकर एक नया गठबंधन तैयार करने में जुटे हुए है! दराशल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कांग्रेस पार्टी की राज्य में सरकार बनने के बाद से अबतक आदीवासियों को लूभा नहीं पाये है,जबकि राज्य के लगभग सभी क्षेत्रों को कर्ज के दम पर लूभाने में एक हद तक कामयाबी हासिल कर चुके हैं! ऐसे में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लिए छत्तिसगढ़ राज्य के अंदर नाराज आदीवासियों की नाराजगी किसी बड़े राजनीतिक खतरे से कम नहीं है! अतः मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इस खतरा को मूल से उखाड़ने हेतू इसकी जड़ पर प्रहार करने हेतू भारतीय जनता पार्टी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हुए नजर आ रहे है,जिसकी बानगी बिते कल बालोद जिला के गुरूर तहसील क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत कोलिहामार में देखने को मिली है! विदित हो,कि छत्तीसगढ़ राज्य के बालोद जिला में विगत 1 मई को तूएगोंदी गांव में हिन्दू संगठनों से जुड़े हुए लोगों ने आदीवासी समाजिक सभ्यता और संस्कृति अनुसार पुजा अनुष्ठान करने वाले लोगों पर प्राण घातक हमला कर दिया था ! हमला करने वाले लोगों का भारतीय जनता पार्टी से जुड़े होने का प्रमाण भी सभी के समक्ष मौजूद हैं ! उक्त हमला के विरोध में 25 मई को बालोद महाबंद का आव्हान किया गया था ! इस दौरान छत्तिसगढ़ीहा क्रांति सेना और भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए लोगों के मध्य बालोद जिले में स्थित गुण्डरदेही विकासखंड मुख्यालय में मारपीट की घटणा घट गई! घटना में भारतीय जनता पार्टी का स्पष्ट तौर पर हाथ होने से आदीवासी समाज नाराज हो गया,क्योंकि घटना में शामिल लोगों को भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने खुले तौर पर समर्थन किया था! समर्थन देने वाले लोगों में से आदीवासी समाज के नेता भी शामिल हुए थे जिन्हें गोंडवाना गोंड महासभा बालोद ने सामाजिक बहिष्कार करते हुए भारतीय जनता पार्टी की राह दिखाते हुए साफ तौर पर कहा था आदीवासियों के साथ अन्याय करने वाले लोगों का साथ देने वाले लोगों का हमारे समाज में कोई स्थान नहीं है! समाज से बहिष्कार का विरोध झेल रहे भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने बालोद जिला में एक अलग आदीवासी समाज का संगठन रातों-रात बना कर उसमे शहिद वीर मेला आयोजन का हिसाब किताब आदीवासी समाज को नहीं बताने वाली गोंड समाज गुरूर के महिला अध्यक्ष उतरा मरकाम को प्रदेश स्तरीय पदाधिकारी बना दिया और छतिसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को 9 अगस्त की जगह 13 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाने हेतू आमंत्रित किया गया! उक्त कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मुख्य अतिथि के रूप में पधारे और शहिद वीर नारायण सिंह मेला आयोजन राजा राव पठार समिति का लगभग पांच लाख रुपए से ज्यादा का खर्चा का हिसाब किताब को समाज से दबा कर रखने वाली कांग्रेसी नेता उनके बगल में बैठी रही! हालांकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस दौरान फर्जी आदीवासी संगठन के मंच से सही लेकिन आदीवासी समाज का दिल को जितने हुए प्रयासरत नजर आये ! सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को स्थानीय नेताओं ने अंधेरे में रखकर यह कार्यक्रम को सफल बनाने हेतू आपस में गठजोड़ किया है! वंही मामले में सर्व आदीवासी गोंडवाना गोंड महासभा बालोद ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को आईना दिखाते हुए कहा है कि यह वही आदीवासी समाज है जिनके कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिता जी नंदकुमार बघेल शामिल हुए थे और आदीवासियों की जल जंगल जमीन की लड़ाई को आजादी की दूसरी लड़ाई का संज्ञा दिया था!