!हे राम सदमती दे भगवान!
यह राम भजन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की पसंदीदा भजनो में से एक है! गांधी जी अक्सर इस राम भजन को गुणगुनाया करते थे!अब जब गांधी जी और राम भजन की बात हो रही है, तब रामराज स्थापित करने वाले हमारे प्रिय सांसदो की बात ना हो तो शायद उनके साथ नाइंसाफी होगी! आखिरकार राम नाम की लूट मची हुई है! लोग एक दूसरे को देखकर राम का नाम लेते है, लेकिन अब लोग राम का नाम ले लेकर तलवार भी घोंप रहे है! देश के संसद में बैठने वाले ज्यादातर गणमान्य सांसदों ने तो वैसे भी आजादी के बाद से अब तक अंग्रेजों से कहीं ज्यादा देश को लूटकर लूटाई क्षेत्र में इतिहास के सूनहरे पन्ने में स्वर्ण अक्षरों में नाम दर्ज करा चुके है ! कर्णधारों से लूटे जाने के बाद देश आज कंहा पर खड़ा है,यह बताने की आवश्यकता नहीं है! देश के हर गरीब, शोषित,लाचर,पिछले तबके के लोग राजनीति की भरिभाषा को आज जिस नजर से देखते हैं,वह बंया करने की आवश्यकता नहीं है वैसे भी असंसदीय शब्दों के प्रयोग में अब बैन लग चुका है! 'भारतीयों के मेहनत और पसीने की कमाई को हजम करने बावजूद देश के ज्यादातर सांसद आज भी देश मौजूदा परिस्थितियों से अनजान नजर आते हैं ! राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एक अलग तरह की रामराज भारत में स्थापित करने का सपना देखा करते थे! जिस पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा है कि "मैं लोकतंत्र को एक ऐसी चीज के रूप में समझता हूं जो कमजोरों को मजबूत के समान मौका देती है।" 'अब गांधी जी के द्वारा देखी गई रामराज का सपना सही मायने में धरातल पर कितना फलिभूत हुआ है यह देखने और समझने वाली बात है,देश में रामलला की मंदिर जल्द बनने जा रही है'यह अच्छी बात है! उम्मीद है गांधी जी के द्वारा देखा गया रामराज सपना भी जल्द भारत के धरातल पर तैरने लगेगी ! वैसे देखा जाए तो आजादी के बाद भी लोकतंत्र, प्रजातंत्र,और लोकशाही के नाम भारतीयों को बरगलाने की साज़िश हुई है! 'देश के ज्यादातर राजनीतिक दल आजादी के बाद अबतक सिर्फ अपनी राजनीतिक एजेंडा पर ध्यान दिया है,जबकि देश में आज भी अस्थिरता का आलम जगह जगह व्याप्त है! देश के ज्यादातर राजनीतिक दल राजनीतिक स्वार्थ सिद्धि हेतू सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल कर रहे है वंही आम जनता आज भी मूल जरूरतों की संसाधनों से कोसो दूर खड़े रहते हुए नेताओं को पहले आप पहले आप कहते हुए आगे बढ़ाने में जुटे हुए है! 'विगत दिनों लोकसभा में केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कांग्रेसी नेता के द्वारा महामहिम राष्ट्रपति महोदया को लेकर किए गए विवादित टिप्पणी पर बरसते हुए जिस तरह से आदीवासियों के प्रति भावना प्रदर्शित करती हुई भरे संसद में नजर आई,उसे देखकर आदीवासियों का दिल भी पसीज गया होगा!
'आज के मौजूदा राजनीतिक पृष्ठभूमि में नेहरू के अलावा नेहरू-गांधी परिवार के समर्थन में शायद ही कभी कुछ कहा हो या लिखा हो गया हो, परंतु जिस तरह संसद में स्मृति ईरानी ने सोनिया गांधी पर आक्रमण किया और उसके बाद भाजपा के बाकी सांसदों ने सोनिया गांधी से माफी मांगने की जिद की वह देखकर देश के उन आदीवासियों का दिल भी पसीज गया जिनके बारे में जूम्मा जूम्मा कुछ दिन पहले देश के सर्वोच्च न्यायालय में आश्चर्यजनक फैसला हुआ है ! छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर संभाग में हुई फर्जी मुठभेड़ मामले में याचिकाकर्ता को सुप्रीम कॉर्ट ने सुनाया फैसला
उन आदिवासियों का कहना है,कि कोई उनके लिए कभी क्यों खड़ा नहीं हुआ,जबकि वे भी इस देश के नागरिक हैं उनका भी उतना ही हक और अधिकार है जितना कि स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी जी की है! 'भरे संसद में स्मृति ईरानी और भारतीय जनता पार्टी के सांसदों द्वारा यह कहा गया,माफी मांगो आदीवासियों से वैसे भारत की महामहिम राष्ट्रपति जी एक ही इंसान हैं! अतः स्मृति ईरानी को आदीवासी महामहिम से माफी मांगो यह कहना उचित होता,लेकिन जिस तरह से उनके द्वारा और पार्टी के अन्य सांसदों द्वारा माफी मांगो आदीवासियों से कहा गया उसे देखकर लगता है कि संसद में आदीवासियों के नाम पर घटिया राजनीति को अंजाम देने की कोशिश किया जा रहा है!
'खैर राजनीति में सब जायज़ है, लेकिन विडंबना यह है कि आखिर राजनीति में क्या जायज नहीं है, क्योंकि राजनीति देश का संविधान नहीं हो सकता है लिहाजा राजनीति करने वाले लोगों को संविधान का पालन करते हुए राजनिति करना उचित होगा।