रायपुर : दुनिया की सबसे बड़ी लोकतंत्र मानी जानी वाली भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था की बागडोर संभालने वाली राजनीतिक दलों के संबंध में ज्यादातर भारतीयो का मानना है कि भारतीय राजनीति गंदी हो चुकी है और इसे गंदा बनाने वाला और कोई नहीं बल्कि देश में जनसेवा के नाम पर नेतागिरी करते हुए अपनी खुद की तिजोरी भरने वाले लोग हैं । भारतीय राजनीति में गंदगी की बात हो और कमल का जिक्र ना हो तो राजनीति आधी-अधूरी गलती है । भारतीय जनता पार्टी की छत्तिसगढ़ में लंबी समय तक सरकार रही और डा रमन सिंह मुख्यमंत्री के बतौर लगातार पंद्रह वर्षों तक प्रदेश की सत्ता पर काबिज रहे ! पूर्व मुख्यमंत्री डां रमन सिंह की मुंह से भाजपा कार्य समिति के बैठक के दौरान कुछ ऐसा शब्द निकल गया ,जिसे सुनने वाले लोगों की कानों तक को यकिन नही हुआ,खैर मुंह से निकली हुई बोली और बंदूक से निकली हुई गोली कभी वापस नहीं आती है । डां रमन सिंह की मुंह से निकलने वाला शब्द इतना भयानक है कि इस बयान को लेकर भारतीय जनता पार्टी के अंदर आज भी गहमागहमी देखी जा सकती है । डां रमन सिंह पूर्व में भी भारतीय जनता पार्टी के मंत्री और विधायकों को मंच पर सीधा कमीशन लेना बंद कर दो हमारी सरकार आगे और चलेगी कह दिया , जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी के अंदर उस वक्त भी जमकर बवाल मचा था । राजधानी रायपुर में आयोजित भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में डॉ. रमन सिंह ने समापन भाषण दिया था,इस दौरान उक्त बैठक में 200 से अधिक भारतीय जनता पार्टी पदाधिकारी मौजूद थे जंहा पर पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ रमन सिंह के मुखारविंद से यह शब्द निकला छत्तिसगढ़ में भाजपा की स्थिति ठीक नहीं है । डॉ. रमन का जो कथित बयान जिस पर बवाल मचा हुआ है, दरशल वह बयान मीडिया तक पहुंचाने में घर के भेदी का बहुत तगड़ा हाथ है, जो उस वक्त उक्त बैठक में मौजूद थे और डॉ. रमन सिंह का सम्बोधन सुन रहे थे। वैसे देखा जाए तो बैठक के अंदर की बात बाहर यूं ही नहीं आ जाती हैं जबतक कोई अंदर वाला बाहर में आकर अंदर की बात जग जाहिर ना कर दे। राज्य के भारतीय जनता पार्टी के जनप्रिय सांसद को लेकर एक जिला विशेष की भारतीय जनता पार्टी के ही कार्यकर्ताओं द्वारा यह कहते हुए कई दफा सुना गया है कि नेता जी का चरित्र ठीक नहीं है। वैसे भाजपा स्वयं को बहुत अनुशासित पार्टी मानती है, उसके कार्यकर्ता भाजपा को अन्य राजनीतिक दलों से भिन्न बताते हुए अन्य राजनीतिक दलों के अंदर होने वाली इस तरह की विवाद पर छाती पिट पिट कर मजे लेती है। मगर यह जो हो गया, वह बता रहा है कि वक्त बदल गया है। जब डॉ रमन सिंह कह रहे हैं कि उन्होंने ऐसा नहीं कहा कि भाजपा की स्थिति ठीक नहीं है तो मान लें कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा होगा।
कई बार जब कोई अपने घर में खुलकर कोई बात रख रहा हो तो पहली बात यह है कि घर की बात बाहर नहीं जानी चाहिए। दूसरी बात यह है कि किसी बात के संदर्भ और भावनाओं का स्वरूप नहीं बदला जाना चाहिए। तथ्य का मूल रूप में ही देखना चाहिए। लेकिन, अब ऐसा अक्सर नहीं होता। दीवारों के कान होते हैं तो घर के भेदिये भी कम नहीं हैं। मीडिया तो अपना काम करेगा। उसे जब भाजपा के ऐसे लोग जानकारी देंगे, जिन पर वह भरोसा कर सकता है तो वह जानकारी सामने लाने की प्रतिबद्धता निभाएगा। किसी मामले में संबंधित व्यक्ति का पक्ष भी पता कर लिया जाय तो विवाद की वैसी स्थिति नहीं बनती, जैसी इस मामले में सामने आई। फिर जब राज्य के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके, किसी पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारी के बयान की बात हो तो इतना शिष्टाचार जरूरी है कि केवल बताई गई बातों पर पूर्ण भरोसा करने की बजाय संबंधित व्यक्ति से चर्चा कर ली जाए। मगर कई बार यह अपेक्षित गंभीरता उपेक्षित हो जाती है। तब भी भाजपा को मीडिया से टकराव मोल लेने की जगह चिंता यह करनी चाहिए कि उसके अंतःपुर में यह क्या हो रहा है और सुनियोजित सी लगने वाली यह अंतर्कलह आखिरकार भाजपा के लिए ही घातक है। एक बड़ा सवाल यह भी है कि बिना आग के धुंआ कैसे निकल सकता है। कहने वाले यह भी कह सकते हैं कि जब बात बिगड़ गई तो संगठन के दबाव में आकर बात को खारिज कर दिया गया। यहां एक तर्क यह भी दिया जा रहा है कि अचानक ऐसा क्या हुआ कि कल तक रमन सिंह के चेहरे से दूरी बनाती दिखने वाली भाजपा अब उनकी सरकार के काम को जनता के सामने रखने तैयार है। भाजपा को सावधान हो जाना चाहिए कि वह इस तरह के विवादों पर नियंत्रण करे। अन्यथा वह इसका दुष्प्रभाव झेलने तैयार रहे। भाजपा में इस विवाद से एक तरफ कुंआ और एक तरफ खाई वाली नौबत दिख रही है। यह शुभ लक्षण नहीं हैं।