
रायपुर : भारत के 26 शवी राज्य के रूप में अवतरित छत्तीसगढ़ की पवित्र भूमि यंहा के बाशिंदों(निवासियों) के लिए मां से बढ़कर है ! ढाई करोड़ से अधिक छत्तीसगढ़ राज्य की जनता छत्तीसगढ़ राज्य की पवित्र भूमि की पुजा और अर्चना करते हुए इस मिट्टी की धूल का तिलक लगाते है ! छत्तीसगढ़ राज्य भारत के पिछड़े राज्यों की श्रेणी में गीना जाता है ,यह इस प्रदेश की वेदना है ,गरीबी, उपेक्षा,शोषण यह इस राज्य की वह दर्द है जिससे छुटकारा दिलाना सभी छतिसगढ़ीहा नागरिकों की जिम्मेदारी है ! छत्तीसगढ़ किसी भी मायने में भारत दूसरे अन्य राज्यों के मुकाबले अव्वल है और देश के विकास में बढ़िया योगदान दे रहा है दूसरे अन्य बड़े और आर्थिक स्थिति में मजबूत राज्यों के साथ ! बदकिस्मती यंहा की बांसिदो के किस्मत में लिख दिया गया है शायद , जिसके चलते छत्तिसगढ़ राज्य को रात दिन अंदर से खोखला करने के बाद भी यंहा के ज्यादातर बांसिदो को आज भी गरीबी के घनचक्कर में पिसना पड़ रहा है !
छत्तीसगढ़ राज्य आदीवासी बाहूल्य राज्य की श्रेणी में आता है , जंहा की ज्यादातर आदीवासी समुदाय से जुड़े हुए परिवार विकास और सरकारी योजनाओं की लाभ से कोसों दूर है ! छत्तीसगढ़ की ज्यादातर बासींदो की मानें तो जन्म देना मां बाप और ईश्वर के हाथ में है , लेकिन जीवन जीना अपने हाथ में है , और इसी सोंच विचार के चक्कर में लोग अपनी मौलिक अधिकारो तक से समझौता कर अपनी अधिकारों के लिए आगे नहीं बढ़ते है जिसका फायदा सिस्टम में बैठे भ्रष्ट लोग उठा लेते है ! निश्चित तौर यह किसी भी जिम्मेदार लोकतांत्रिक व्यवस्था वाली देश के लिए सही नहीं माना जा सकता है, जबकि भारत की लोकतंत्र के अनुसार सभी भारतीय एक समान है ! भारत की लोकतंत्र की जड़ इतनी मजबूत होती तो शायद छत्तिसगढ़ राज्य के बासिंदे गरीब रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार की संख्या मे देश के अन्य राज्यों के साथ खड़ा नहीं रहता बल्कि छत्तिसगढ़ राज्य देश के अन्य राज्यों के गरीबों के विकास हेतू हाथ बढ़ता , लेकिन विडंबना यह है कि लोकतंत्र के आड़ में राजनीतिक रोटी सेंकने वाली राजनीतिक दलों और राजनेताओं की अकर्मण्यता के कारण छत्तिसगढ़ राज्य के बासिंन्दो को गरीबी से जूझना पड़ रहा है ! राज्य में जितनी भी सरकार बनी सभी ने राज्य की ग़रीबी और भूखमरी को खत्म करने की बात कहते हुए सत्ता का भरपूर आनंद लिया , जबकि छत्तीसगढ़ राज्य की दशा में सुधार नही हुआ ! प्रदेश में इस बख्त कांग्रेस पार्टी की भूपेश बघेल की नेतृत्व में सरकार कार्य कर रही है ,
मुख्यमंत्री बनने के बाद भूपेश बघेल की उपलब्धियो में से छतिसगढ़ीवाद की बड़ी भूमिका रही है! मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तिसगढ़ राज्य के खत्म होती सभ्यता और संस्कृति सहित पुरानी विरासतों को धरातल में खड़े करने हेतू इन दिनों जबदस्त तरीके से कामयाबी हासिल कर रहे है इसमें कोई संदेह नहीं है ! भूपेश बघेल राज्य के आदीवासी बाहूल्य क्षेत्रों के आदीवासीयो के साथ मिलकर उनके विकास हेतू हर संभव मदद करने का प्रयास भी कर रहे है ! इन सब के बावजूद एक बड़ा सवाल है , जिसने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की छतिसगढ़ीहा वाद की डफली फोड़ कर दिया है और वो सवाल है रंजीता रंजन और राजीव शुक्ला जिन्हें कांग्रेस पार्टी हाईकमान ने छत्तीसगढ़ से राज्यसभा में भेजने का निर्णय लिया है , जबकि छत्तीसगढ़ राज्य के अंदर अनेक ऐसे कांग्रेसी नेता थे जिन्हें राज्यसभा जाने की इतनी जल्दी थी कि वे लोग राज्यसभा जाने के लिए मानो बस निकलने ही वाले थे!खैर कांग्रेस पार्टी ने छत्तीसगढ़ से राज्यसभा जाने वाले कांग्रेसी नेताओं का नाम सार्वजनिक करते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि राज्यसभा में तेजतर्रार भारतीय पार्टी को जवाब देने हेतू तेजतर्रार कांग्रेसी नेताओं की राज्यसभा में जरूरत है ! इसके स्पष्टीकरण करण के बाद छत्तीसगढ़ के कांग्रेसी नेताओं जिनकी मन में राज्यसभा जाने हेतू बार बार लड्डू फुट रहे थे वे सब हाईकमान की फैसला का ना चाहते हुए भी सम्मान कर रहे है !
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हाईकमान की ओर देखकर अपनी मन की वेदना को मन के अंदर ही रखें हुए हैं , क्योंकि उन्हें पता है इस बार आंख दिखाई तो ढाई साल वाले फार्मूले में कोई देरी नहीं होगी , लिहाजा चुप रहते हुए खामोश बैठे रहो अपना काम करते रहो ! देश के ऊपरी सदन यानी कि राज्यसभा हेतू सांसदो का चुनाव 10 जून को होना है , जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य से भी दो सांसदों का चयन होना है ! छत्तीसगढ़ राज्य से चयन होकर देश की उपरी सदन यानी कि राज्यसभा में जाने वाले सांसद छत्तिसगढ़ राज्य से नहीं है ! छत्तीसगढ़ के आम जनता का अधिकार है उनके अधिकारों का फैसला राजधानी रायपुर में हो दिल्ली में नहीं क्योंकि दिल्ली और अन्य राज्यों से आने वाले लोग छतिसगढ़ के विषय के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते हैं ,राज्य की गरीब जनता की प्रतिनिधित्व करने हेतू राज्यसभा में छत्तिसगढ़ के सांसद होना चाहिए और यह प्रदेश के नागरिकों का अधिकार है , लेकिन कांग्रेस पार्टी हाईकमान छत्तीसगढ़ राज्य से मनमानी करते हुए यह अधिकार छिन रही है ! कांग्रेस पार्टी की इस फैसला का प्रदेश में जमकर विरोध हो रहा है अब ऐसे में कांग्रेस पार्टी हाईकमान का यह फैसला कितना सही साबित होगी यह कांग्रेस पार्टी हाईकमान ही जाने ! वैसे अगले साल छत्तिसगढ़ राज्य में विधानसभा चुनाव सम्पन्न होना है ,और कांग्रेस पार्टी हाईकमान की वजह से छत्तिसगढ़ कांग्रेस कमेटी में दो फाड़ की स्थिति पनपी हुई है , ऐसे में पार्टी हाईकमान को छत्तिसगढ़ के कांग्रेसी नेताओं को दरकिनार करना शायद खुद के पैर में कुल्हाड़ी चलाने वाली बात साबित हो सकती है !
मुख्यमंत्री बनने के बाद भूपेश बघेल की उपलब्धियो में से छतिसगढ़ीवाद की बड़ी भूमिका रही है! मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तिसगढ़ राज्य के खत्म होती सभ्यता और संस्कृति सहित पुरानी विरासतों को धरातल में खड़े करने हेतू इन दिनों जबदस्त तरीके से कामयाबी हासिल कर रहे है इसमें कोई संदेह नहीं है ! भूपेश बघेल राज्य के आदीवासी बाहूल्य क्षेत्रों के आदीवासीयो के साथ मिलकर उनके विकास हेतू हर संभव मदद करने का प्रयास भी कर रहे है ! इन सब के बावजूद एक बड़ा सवाल है , जिसने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की छतिसगढ़ीहा वाद की डफली फोड़ कर दिया है और वो सवाल है रंजीता रंजन और राजीव शुक्ला जिन्हें कांग्रेस पार्टी हाईकमान ने छत्तीसगढ़ से राज्यसभा में भेजने का निर्णय लिया है , जबकि छत्तीसगढ़ राज्य के अंदर अनेक ऐसे कांग्रेसी नेता थे जिन्हें राज्यसभा जाने की इतनी जल्दी थी कि वे लोग राज्यसभा जाने के लिए मानो बस निकलने ही वाले थे!खैर कांग्रेस पार्टी ने छत्तीसगढ़ से राज्यसभा जाने वाले कांग्रेसी नेताओं का नाम सार्वजनिक करते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि राज्यसभा में तेजतर्रार भारतीय पार्टी को जवाब देने हेतू तेजतर्रार कांग्रेसी नेताओं की राज्यसभा में जरूरत है ! इसके स्पष्टीकरण करण के बाद छत्तीसगढ़ के कांग्रेसी नेताओं जिनकी मन में राज्यसभा जाने हेतू बार बार लड्डू फुट रहे थे वे सब हाईकमान की फैसला का ना चाहते हुए भी सम्मान कर रहे है !
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हाईकमान की ओर देखकर अपनी मन की वेदना को मन के अंदर ही रखें हुए हैं , क्योंकि उन्हें पता है इस बार आंख दिखाई तो ढाई साल वाले फार्मूले में कोई देरी नहीं होगी , लिहाजा चुप रहते हुए खामोश बैठे रहो अपना काम करते रहो ! देश के ऊपरी सदन यानी कि राज्यसभा हेतू सांसदो का चुनाव 10 जून को होना है , जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य से भी दो सांसदों का चयन होना है ! छत्तीसगढ़ राज्य से चयन होकर देश की उपरी सदन यानी कि राज्यसभा में जाने वाले सांसद छत्तिसगढ़ राज्य से नहीं है ! छत्तीसगढ़ के आम जनता का अधिकार है उनके अधिकारों का फैसला राजधानी रायपुर में हो दिल्ली में नहीं क्योंकि दिल्ली और अन्य राज्यों से आने वाले लोग छतिसगढ़ के विषय के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते हैं ,राज्य की गरीब जनता की प्रतिनिधित्व करने हेतू राज्यसभा में छत्तिसगढ़ के सांसद होना चाहिए और यह प्रदेश के नागरिकों का अधिकार है , लेकिन कांग्रेस पार्टी हाईकमान छत्तीसगढ़ राज्य से मनमानी करते हुए यह अधिकार छिन रही है ! कांग्रेस पार्टी की इस फैसला का प्रदेश में जमकर विरोध हो रहा है अब ऐसे में कांग्रेस पार्टी हाईकमान का यह फैसला कितना सही साबित होगी यह कांग्रेस पार्टी हाईकमान ही जाने ! वैसे अगले साल छत्तिसगढ़ राज्य में विधानसभा चुनाव सम्पन्न होना है ,और कांग्रेस पार्टी हाईकमान की वजह से छत्तिसगढ़ कांग्रेस कमेटी में दो फाड़ की स्थिति पनपी हुई है , ऐसे में पार्टी हाईकमान को छत्तिसगढ़ के कांग्रेसी नेताओं को दरकिनार करना शायद खुद के पैर में कुल्हाड़ी चलाने वाली बात साबित हो सकती है !