भूपेश बघेल को ढाई वर्ष फार्मूले की तहत सिर्फ ढाई लिए ही मुख्यमंत्री बनाया गया था यह जग जाहिर है ! अपने कार्यकाल के ढाई वर्ष पुरे होने के बाद जब उन्हें फार्मूले की याद दिलवाई गई उन्होंने पार्टी हाईकमान को ही आंख दिखाना शुरू कर दिया ! उन्होंने सत्ता पक्ष के विधायकों को लामबंद किया और हाईकमान के मना करने के बावजूद दिल्ली में सार्वजनिक शक्ति प्रदर्शन किया , चूंकि भूपेश बघेल ने साढ़े तीन वर्षों के कार्यकाल में सबसे ज्यादा जोर छत्तिसगढ़ की अस्मिता पर दिया है कांग्रेस हाईकमान द्वारा राज्यसभा के लिए दोनों उम्मीदवार प्रदेश से बाहर का तय किया जाना भूपेश बघेल की छतिसगढ़ीहा वाद की राजनीति के लिए किसी करारा झटका से कम नहीं है ! प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अंदर कई ऐसे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मौजूद है , जिनकी दिली इच्छा रही कि पार्टी हाईकमान की ओर से राज्यसभा हेतू उनके नाम को आगे बढ़ाया जाए , लेकिन कांग्रेस पार्टी हाईकमान ने राज्यसभा सांसद चुनाव में छत्तिसगढ़ कांग्रेस के किसी भी पार्टी नेता के नाम पर विचार नहीं किया जाना निश्चित तौर पर छत्तिसगढ़ के लिए और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लिए सही नहीं माना जा सकता है ! छत्तीसगढ़ कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं छत्तिसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डा चरणदास महंत ने राज्यसभा में जाने के लिए खुलेआम इच्छा जाहिर किया था , ऐसे में पार्टी हाईकमान के द्वारा उनके इस इच्छा तक का सम्मान नहीं किया गया है जो कि कांग्रेस पार्टी के लिए बड़ी राजनीतिक चिंता से कम नहीं है ।
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सवाल सीधा सा है ! जब आप हमारा सम्मान नहीं करेंगे हमें ताकत दिखायेंगे तो हम भी आपकी परवाह क्यों करें ? विधायकों का जो समूह दिल्ली गया उनमें से अधिकांश नए नवेले विधायक हैं वो कांग्रेस हाईकमान की कार्यशैली से अंजान है । उनके लिए धर्मसंकट की स्थिति है । पार्टी भले बाहर से एक नजर , लेकिन निकट भविष्य में उन्हें ये तय करना ही होगा कि वे भूपेश बघेल के साथ है अथवा राहुल गांधी की भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ ? आखिरकार पार्टी का टिकट दिल्ली से ही तय होना है । अब इसी दुविधा में फंसकर राज्य के कुछ विधायक जिन्हें कांग्रेस पार्टी हाईकमान के फार्मूले की दूसरी छोर यानी कि टी एस सिंहदेव के समर्थक माने जाते रहे है ,वे भी इन दिनों भूपेश बघेल के आगे नतमस्तक नजर आ रहे है,जिसे देखकर राज्य के राजनीतिक पंडित भी हक्के-बक्के है ! वैसे देखा जाए तो राजनीति में कोई स्थाई दोस्त और दुश्मन नहीं होते हैं ! दूसरी ओर टी एस सिंहदेव हाईकमान को ढाई साल वाली फार्मूला को राज्य में लागू करने हेतू खुलकर बयान देते हुए पार्टी हाईकमान पर एक तरह की दवाब बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है ! मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इन दिनों प्रदेश भ्रमण यात्रा में निकले हुए है ,तो वंही दूसरी ओर टी एस सिंहदेव भी लगातार प्रदेश के जिला एवं विधानसभा की दौरा कर रहे है ! छत्तीसगढ़ राज्य में विधानसभा चुनाव की बिगूल अभी बजी नहीं है , लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दल आस्वस्त है और सभी अपनी अपनी राजनीतिक पृष्ठभूमि को मजबूती प्रदान करने में जुटे हुए हैं ! आगामी विधानसभा चुनाव चलते इन दिनों हर राजनीतिक दल विधानसभा चुनाव की तैयारियों में रणनीति बना रहे है , ऐसे में कांग्रेस पार्टी की ओर सबकी नजर है और क्यों ना आखिरकार लंबी अवधि के बाद कांग्रेस पार्टी प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुई है ! कांग्रेस पार्टी की नेताओं के आपसी गुटबाजी कांग्रेस पार्टी को भारी ना पड़ जाए यह विचार कांग्रेस पार्टी को अविलंब करना चाहिए क्योंकि कांग्रेस पार्टी के अंदर गुटबाजी किसी बड़े उलटफेर को सदैव जन्म देती हुई आई है !