रायपुर : छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री रहे स्वर्गिय अजित जोगी के अनुसार छत्तिसगढ़ राज्य अमीर धरती के गरीब लोगों की भूमि है । कहते है,कि इस भूमि के मूल निवासीयो को आज भी अपने मौलिक अधिकारों को हासिल करने हेतू कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। जबकि छत्तीसगढ़ के अंदर अन्य राज्यो से आकर बसने वाले लोगों को आज की वर्तमान स्थिति में यंहा ज्यादा मुश्किल उठानी नहीं पड़ती है । प्रदेश के ज्यादातर बड़े व्यपारीक ,या कारोबारी संस्थानों एवं कारखानों की पहली पसंद गैर छत्तिसगढ़ीहा मजदूर है । बाहर से आकर मजदुरी करने वाले लोगों के चलते राज्य के शहरी मजदूरों को मजदूरी हेतू बहुत परेशानियों का सामना करना है, जिसके चलते मजदूरों की दैनिक जीवन हासिए पर है । मजदूरों की दैनिक बदहाली पर नजरें इनायत करने की गुंजाइश हमारे राज्य के नेताओं ने बहुत कम बार दिखाई है , जिसके चलते मजदूरों को मजदूरी हेतू कठिन संघर्षों से होकर गुजरना पड़ता है, जबकि राज्य के ज्यादातर नेता इनसे वोट हासिल करने के बाद सोने की लंका में विराजमान रहते हैं । राज्य के अंदर गरीब रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार की संख्या आज की वर्तमान परिदृश्य में भी अच्छी नहीं है ,और वैसे भी सरकारी आंकड़े धरातल की सच्चाई हर बार सही बताए यह जरूरी नहीं है । खैर छत्तीसगढ़ में गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले लोगों की पहचान का पैमाना बदलने की होड़ मची हुई है । इस काम के लिए हर बार की तरह पुरानी जनगणना के आंक़ड़ों का सहारा लिया जाता है। राज्य में गरीबों की संख्या को लेकर पहले कई बार कई तरह के विवाद सामने आ चुके हैं , जिसके बावजूद राज्य में गरीबों की संख्या के बारे में सरकार को एकदम सही तरीके से पता हो यह नहीं कहा जा सकता है। राज्य सरकार ने गरीबों को सस्ती दरों पर चावल देने की योजना शुरू की थी तब अचानक गरीबों की संख्या बढ़ गई थी। बाद में जब महिलाओं को परिवार का मुखिया बनाकर राशन कार्ड बनाए जाने लगे तब भी राशन कार्ड़ों की तादाद बड़े पैमाने पर बढ़ी, लेकिन जब राशन कार्डों में फर्जीवाड़े की शिकायतें आने लगी तो जांच के बाद लाखों राशनकार्ड निरस्त किए गए। कुल मिलाकर गरीबों को सहायता देना कहीं न कहीं वोट बैंक की राजनीति से जुड़ा मसला भी है। पुराने अनुभव को देखते हुए राज्य सरकार इस मसले पर बेहद बारीकी और सतर्कता से काम करने की बात कही रही है। इस बीच केंद्र से भी ऐसे संकेत मिले कि किसी भी हाल में गरीबी या गरीबों की संख्या कम की जाए। ऐसे में छत्तीसगढ़ राज्य अंतर्गत सैकड़ों ऐसे परिवार जिनकी आमदनी अठन्नी और सरकार बता रही पुरे अन्ना अब सरकारी आंकड़े कंहा तक सही है यह कहा नहीं जा सकता है । राज्य में गैर छत्तिसगढ़ीहा लोगों का तेजी के साथ बढ़ रही आय और संपत्ति जबकी आम छतिसगढ़ीहा कंगाली के राह में खड़ा हो कर मजबूरी में अपनी मां समान जमीन का रोज सौदा कर रहे है । इन सभी पहलुओं के बारे में हम इसलिए चर्चा कर रहे ताकि राज्य में यह स्थिति निर्मित ना हो इस दिशा में राज्य के बड़े राजनीतिक दलों ने कभी ध्यान नहीं दिया है । लिहाजा लगभग सभी राजनीतिक दल आम जनता के बीच में मौजूद रहने वाले जमीनी स्तर के नेता को दरकिनार करते हुए पार्टी हित में गैर जमीनी स्तर से जुड़े व्यक्ति और छतिसगढ़ीहा लोगों को तवज्जो दिया । परिणामस्वरूप राज्य में गैर छत्तिसगढ़ीहा नेताओं का पहाड़ खड़ा हो गया , जबकि छत्तीसगढ़ की भूईया में पैदा होने वाले आम छतिसगढ़ीहा राजनीतिक कार्यकर्ता सिर्फ पहले आप , पहले आप कहते हुए सिर्फ अपनी बारी का इंतजार करते रहे । इस पहले आप पहले आप के चक्कर में छत्तिसगढ़ के लाखों गरीब मजदूर परिवारों की अधिकारों से जुड़ी हुई बात देश के उच्च सदन तक नहीं पहुंच सकी , जिसके चलते छत्तिसगढ़ राज्य में निवास करने वाले गरीब परिवारों के विषयों पर और उनकी समस्त समस्याओं के विषय में देश में जान नहीं पाया , जबकि देश को जानने और समझने का अधिकार है । आगामी 10 जून को राज्यसभा की 57 सीटों पर चुनाव होने हैं , जिसके लिए 31 जून को नामांकन की अंतिम तिथि निर्धारित किया गया है । छत्तीसगढ़ राज्य से राज्यसभा हेतू 2 सीटों पर चुनाव होना है , जिसके लिए कांग्रेस पार्टी ने उतर प्रदेश के कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता राजीव शुक्ला ,एवं बिहार से राजीव रंजन की नाम घोषणा कर दिया है । कांग्रेस पार्टी के द्वारा इन दोनों कांग्रेसी नेताओं की नाम सामने आने से स्थानीय कांग्रेसी नेताओं से लेकर राज्य की आम जनता में कांग्रेस पार्टी के आक्रोश देखा जा रहा है ,लोग सोसल मीडिया में कांग्रेस पार्टी की इस फैसले की जमकर आलोचना करते हुए देखा जा रहा है । कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं में शुमार चरण दास महंत ने कुछ दिन पहले खुलेआम राज्यसभा में जाने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं ऐसे में आम छतिसगढ़ीहा लोगों के मध्य कांग्रेस पार्टी की छवि बिगड़ती हुई साफ नजर आ रही है , जबकि प्रदेश में कुछ दिन विधानसभा चुनाव होना तय है और इसकी तैयारियों में इन दिनों मुख्यमंत्री से लेकर कांग्रेस पार्टी जुटी हुई है ।