@अमित मंडावी
छत्तीसगढ़ बालोद : देश में संचालित बहुउद्देशीय योजना जिसे देशवासी महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के नाम से जानते है ,यह बहुउद्देशीय योजना ग्रामीण भारत की निम्न वर्गों की आर्थिक विकास के मद्देनजर शासन के द्वारा संचालित जनकल्याण कारी योजना है, जिसका शार्ट नाम मनरेगा भी है । देश के अलग अलग राज्यों में प्रतिदिन हिसाब से मजदूरी की दर निर्धारित है और यह नियम छत्तिसगढ़ राज्य में भी लागू है जंहा पर मनरेगा कार्य के दौरान काम करने वाले मजदूरों को प्रतिदिन हिसाब से लगभग 190 रूपये देना माना गया है। वर्तमान समयानुसार मनरेगा मजदूरों के लिए निर्धारित सरकारी दर है उसे उचित दर तो नहीं कह सकते है , लेकिन जब कोई मनरेगा मजदूरों को राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम एक्ट 2005 में उल्लिखित नियम के विपरित दिन भर कमर तोड़ मेहनत के बाद मनरेगा मजदूरों से कहें , की आपकी दैनिक मजदूरी आज की हुई 75 रूपये हुआ है , तब मजदूर जो दिन भर मेहनत कर पसीना बहाया है उसे क्या महसूस होगा स्वयं विचार करें ! दरअसल बालोद जिला अंतर्गत गुरूर जनपद पंचायत क्षेत्र के कुम्हार खान ग्राम पंचायत में ऐसा वाकैया बिते कल घटित हुआ है जंहा पर ग्राम के मनरेगा मजदूरी से संबंधित पंजियन धारी मजदूरों ने मनरेगा योजना अंतर्गत कार्य करने से साफ इंकार कर दिया है । मजदूरों की मानें तो शासन और प्रशासन मिलकर मजदूरों का हक मारते हुए उनसे ठेंका पद्धति की तरह काम ले रही है , और काम लेने के बाद मजदूरों से दैनिक रोजी मात्र 75 रुपए दे रही है ,साथ ही उम्रदराज लोगों से नियम और क़ानून विपरीत कड़े से कड़े कार्य ले रही है । मजदूरों ने बिते कल सुबह मनरेगा कार्य स्थल ग्राम पंचायत कुम्हार खान जनपद पंचायत गुरूर जिला बालोद में प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में भारत सरकार के द्वारा संचालित इस योजना को टाटा बाय बाय कहते हुए चलते बने ।जनपद पंचायत गुरूर एवं नयाब तहसीलदार गुरूर ने मौके पर जाकर मजदूरों को काफी समझाने का प्रयास किया , लेकिन मजदूरों ने किसी की एक नहीं सुनी, बिते शनिवार को कार्य स्थल पर एक बुजुर्ग व्यक्ति हुआ था बेहोश मौके पर एंबुलेंस की सहायता लिया गया था ,तो वंही मनरेगा संबंधित कार्यों पर गुरूर जनपद सीईओ राजेंद्र पटौदी ने बड़ा दिया है जिसमें कहा गया है कि पंच और सरपंचों को बैगर मेहनत के मनरेगा में मजदूरी नहीं याने कि पैसा पाना है , तो मनरेगा में कमाना है ।