तांदुला जलाशय से हर खेत तक पानी पहुँचाकर रचा जल क्रांति का इतिहास

 


दुर्ग। "जल ही जीवन, जल ही विकास" और "हर खेत तक पानी - हर किसान के चेहरे पर मुस्कान" के मूलमंत्र पर चलते हुए, छत्तीसगढ़ राज्य के गठन (वर्ष 2000) के बाद तांदुला जल संसाधन संभाग दुर्ग ने बीते 25 वर्षों में सिंचाई विकास, जल संरक्षण, तकनीकी नवाचार और जनकल्याण के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धियाँ अर्जित की हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के दूरदर्शी नेतृत्व और राज्य सरकार की कृषक-केंद्रित नीतियों के परिणामस्वरूप, विभाग ने छत्तीसगढ़ को "जल आत्मनिर्भर राज्य" बनाने की दिशा में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की है। विभाग की प्राथमिकताएँ स्पष्ट हैं: जल संसाधनों के माध्यम से 'जल से जनकल्याण', सिंचाई सुविधाओं के विस्तार से 'सिंचाई में समृद्धि', और आधुनिक कार्यप्रणाली द्वारा 'तकनीक से पारदर्शिता' सुनिश्चित करना ही इसका मुख्य ध्येय है।

सिंचाई विकास: अभूतपूर्व विस्तार और सुदृढ़ीकरण तांदुला जल संसाधन संभाग ने सिंचाई सुविधाओं के विस्तार में क्रांति ला दी है। राज्य निर्माण के समय जहाँ केवल 97 सिंचाई परियोजनाएँ संचालित थीं, वहीं वर्तमान में 118 परियोजनाएँ सक्रिय रूप से क्रियान्वित हैं। नहरों की लंबाई 1148 कि.मी. से बढ़कर 1349 कि.मी. हो गई है, जिससे जल आपूर्ति प्रणाली अधिक विस्तारित हुई है। अविभाजित दुर्ग ज़िले में सिंचाई का रकबा 87,930 हेक्टेयर से बढ़कर वर्तमान में 1,13,538 हेक्टेयर हो गया है। तकनीकी नवाचार ने वितरण प्रणाली में जल अपव्यय को न्यूनतम किया है। नहर लाइनिंग, सुदृढ़ संरचनाएँ और गेट स्वचालन का उपयोग किया गया है। दुर्ग-बालोद अंचल के ग्रामीण क्षेत्रों को स्थायी जलापूर्ति के लिए खरखरा-शिवनाथ नदी पाइपलाइन योजना (₹1520 करोड़) और तांदुला ऑगुमेंटेशन सहगांव उद्वहन सिंचाई योजना (₹238 करोड़) जैसी विशाल परियोजनाएँ शुरू की गई हैं, जिसने 18,000 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई सुविधा प्राप्तहो रही है। उद्वहन सिंचाई योजनाओं द्वारा ऊँचाई वाले क्षेत्रों में भी जलापूर्ति संभव हुई है, जिससे "अंतिम छोर तक सुगम सिंचाई - अंतिम खेत तक पानी की गारंटी" सुनिश्चित हुई है। इस वर्ष भू-जल पुनर्भरण हेतु 265 रिचार्ज पिट एवं 300 सोक पिट का निर्माण कर वर्षा जल का पुनर्भरण सुनिश्चित किया गया है।