बालोद : छत्तीसगढ़ राज्य अंतर्गत पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य करने वाले जनपक्षिय पत्रकारों के साथ अन्याय पूर्ण रवैया रूकने का नाम नहीं ले रहा है, जिसके चलते छत्तिसगढ़ राज्य दिनों दिन बदनाम हो रही है । निश्चित तौर पर यह एक बड़ी चिंता का विषय है जिस पर सरकार को गंभीरता से चिंतन करने की आवश्यकता है । जरूरत इसलिए भी है क्योंकि कांग्रेस पार्टी ने छत्तीसगढ़ की विधानसभा चुनाव के पहले राज्य में पत्रकार सूरक्षा कानून लागू करने का दावा करते हुए खूब वाहवाही बटोरने में सफलता अर्जित किया ! फलस्वरूप कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश में भारी बहुमत की सरकार बनाने में कामयाबी हासिल किया है। हालांकि कांग्रेस पार्टी की प्रदेश में सरकार गठन होने के बाद राज्य में पहले की अपेक्षा और ज्यादा पत्रकारों के साथ अन्याय , अपराध ,और शोषण, फर्जी मामले में फंसा कर जेल भेजने की घटनाओ तेजी के साथ बढ़ोत्तरी देखने को मिल राहा है। प्रदेश में लगातार कलमवीरो पर होती हुई,अनैतिक गतिविधीयां किसी भी सभ्य समाज और राष्ट्र के लिए उचित नहीं माना जा सकता है , जिसके बावजूद यदि इस तरह की घटना घट लगातार घट रही है। इन बढ़ती हुई घटना समाज पर क्या असर या प्रभाव डालता है, इसे हमें बताने की कतैई आवश्यकता नहीं है! सरकार के भेदभाव पूर्ण रवैए की मद्देनजर यह अंदाजा लगाया जा रहा है, कि राज्य सरकार और कांग्रेस पार्टी को पत्रकारों के साथ हो रही किसी भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष घटना से कोई लेना-देना नहीं है ! कांग्रेस पार्टी को सिर्फ सत्ता सुख से मतलब है भले उनके द्वारा किए गए वादे आज के वर्तमान परिदृश्य में जुमला साबित हो रहे हैं। आमतौर देखा जाए तो छत्तिसगढ़ राज्य के अंदर कांग्रेस पार्टी की सरकार बनने के बाद राज्य के ज्यादातर कांग्रेसी नेताओं ने प्रदेश में पत्रकारिता के क्षेत्र में जूनुन के साथ सच्चाई को उजागर करने हेतू कड़ी मेहनत की पराकाष्ठा को धरातल पर मजबूती से खबर के माध्यम से समाज को अवगत कराने वाले लोगों को निशाना में लिया है। जबकि कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान गली गली छाती पिट पिट कर राज्य अंतर्गत पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को न्याय देने की बात कहते हुए बड़े बड़े तूर्रा छोड़ने से बाज नहीं आ रहे थे , लेकिन सत्ता की कुर्सी जैसे ही मिली कांग्रेस पार्टी की विचारधारा एकदम से बदल गई । कांग्रेस पार्टी की सरकार के अचानक पत्रकार सुरक्षा कानून को लेकर बदले हुए रवैया किसी की गले नहीं उतर रही है! राजनीतिक पंडितों की मानें तो छत्तिसगढ़ सरकार के मुखिया भूपेश बघेल दो धारी तलवार पर खड़े होकर सरकार चला रहे हैं , जिसके चलते मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की बहुत कुछ मजबूरी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इसी मजबूरी का फायदा उठाते हुए राज्य के ज्यादातर कांग्रेसी नेता और विधायक आम जनता के हितों से समझौता कर खुद की तिजोरी भरने में लगे हुए है। जबकि कांग्रेसियों नेताओं के द्वारा किए जा रहे जन विरोधी कार्यों का खबर प्रकाशित करने वाले पत्रकारों के साथ राज्य में अपराधिक गतिविधियों को खुलेआम अंजाम दिया जा रहा है । जिस पर शासन और प्रशासन से जुड़े हुए लोग महज तमाशबीन बनकर तमाशा देख रहे हैं , जिसकी बानगी बालोद जिला मुख्यालय पर भी इन दिनों देखने को मिल राहा है। ज्ञात हो कि विगत दिनों जिला मुख्यालय में गठित प्रेस कल्ब के उपाध्यक्ष लक्ष्मण देवांगन पर जानहमला होने की आशंका उस वक्त अचानक बढ़ गई ,जब पूर्व प्रेस कल्ब बालोद के उपाध्यक्ष लक्ष्मण देवांगन अपना रेस्टोरेंट बंद कर घर जाने हेतू निकलने थे इस दौरान जिला के तथाकथित पत्रकार बंधु और कांग्रेसी नेता एवं कार्यकर्ताओं का हूजूम उनके साथ किसी अप्रिय घटना को अंजाम देने के फिराक में मौजूद थे । लक्ष्मण देवांगन को जान पर खतरा महसूस होते ही बालोद पुलिस को सूचना दिया जिसके बाद अपने परिजनों की सहयोग एवं बालोद पुलिस की जिम्मेदारी पूर्ण व्यवहार के चलते लक्ष्मण देवांगन पर पहुंच पाए । मामले में पूर्व प्रेस क्लब उपाध्यक्ष लक्ष्मण देवांगन ने बालोद पुलिस से शिकायत दर्ज कराते हुए सूरक्षा प्रदान करने की मांग किया है । कुछ दिन पहले ही बालोद जिला में प्रेस कल्ब का गठन हुआ था , जिसके बाद यह पहला मौका है जब किसी पत्रकार के साथ इस तरह की घटना सुनने व देखने को मिला है । वंही उक्त मामले में बालोद प्रेस क्लब के अध्यक्ष पर प्रेस क्लब से जुड़े सदस्य सोसल मीडिया में तरह तरह की कंमेट कर रहे है जिसे देखकर लोगों लगता है, कि जिला में प्रेस क्लब की गठन पत्रकारों के अधिकारों से जुड़े हुए विषयों पर मुश्तैदी से कार्य करने हेतू नहीं बल्कि जिला में कार्यरत पत्रकारों के साथ शोषण को बढ़ावा देने हेतू गठन किया गया है। हालांकि देश के अंदर मौजूद किसी भी प्रेस कल्ब अपनी संगठन में एकजुटता अधिकारों की लड़ाई हेतू जानी व पहचानी जाती है , लेकिन बालोद जिले में गठित प्रेस क्लब को लोग आज किस नाम से संबोधित कर रहे है यह हमें बताने की जरूरत नहीं है । बहरहाल प्रेस कल्ब की कार्यप्रणाली को देखकर ज्यादातर पत्रकार साथी एक एक अपना इस्तीफा दे रहे हैं ।
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बालोद प्रेसकल्ब के पूर्व उपाध्यक्ष ने पुलिस के समक्ष कांग्रेसी नेता और पत्रकार बंधुओं की शिकायत !