बालोद : जिला के गुंडरदही ब्लॉक से पद्मश्री श्रीमती शमशाद बेगम के द्वारा जन सहयोगी कल्याण समिति का गठन किया गया ,जो ग्रामीण क्षेत्रों के महिलाओं को जोड़कर एक समूह बना कर उसे महिला कमांडो का नाम दिया था । इस संगठन से जुड़ी हुई महिलाएं समाज सुधार व शासन की योजनाओं को गांव तक पहुंचाने में मदद भी करते थे। इन्हें हम लॉकडाउन के समय में इनके द्वारा निशुल्क मास्क वा राशन सामग्री वितरण में कर सहयोग करते हुए भी देखा गया था । महिला कमांडो के सदस्यों को हाथ में डंडा सिटी बजाते हुए गांव की गलियों में भ्रमण करते हुए अक्सर लोग देख चुके होंगे । इनकी एक सिटी की आवाज से ही अवैध कार्य शराब ,जुआ, सट्टा, गांजा ,से जुड़े लोगो में दहशत पैदा हो जाती थी । सार्वजनिक जगहों पर बैठकर शराब पीने वाले शराबीयो की शामत आ जाती थीं इनकी एक सिटी की आवाज को सुनकर वहां से नौ दो ग्यारह हो जाते थे, लेकिन इन दिनों जिला अंतर्गत महिला कमांडो की पहले जैसी समाजिक गतिविधियों में प्रतिबद्धता पहले की अपेक्षा कम हुई है । भारतीय जनता पार्टी की सरकार प्रदेश में रहने के दौरान हर सरकारी क्रार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हुई देखी जाती थी , लेकिन मौजूदा समय में प्रदेश की मौजूदा सरकार ने महिला कमांडो जैसी समाजिक संगठन से शायद किनारा कर लिया है , जिसके चलते जिला में महिला कमांडो की सदस्य रहीं महिलाओं ने डंडा लेकर गांव में घुमना बंद कर दिया है । पद्मश्री शमशाद बेगम की मानें तो महिला कमांडो की संख्या बालोद जिले के साथ अन्य जिले को मिला कर 65 हजार के आसपास है जो बालोद जिला के साथ अन्य जिलों में भी कार्य कर रही है। कोरोना काल के समय से कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में ये विलुप्त हो गई है जिसका फायदा समाजिक अपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने वाले लोग उठा रहे है । जिला के ग्रामीण अंचल क्षेत्रों में अवैध शराब बिक्री का चलन तेजी के साथ बढ़ा , परिणामस्वरूप ग्रामीण अंचल क्षेत्रों के छोटे छोटे बच्चे तक शराब का सेवन कर रहे है । जिला के ज्यादातर ग्रामीण अंचल क्षेत्रों में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनने के बाद अवैध शराब का धंधा शुरू हुआ । हालांकि कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनाव की घोषणा पत्र में छत्तिसगढ़ में पुर्ण शराबबंदी की घोषणा कर रखी है , जिसके बावजूद कांग्रेस पार्टी ने राज्य में शराब बंदी लागू करने के दिशा में कोई विशेष प्रयास नहीं कर पाई है । जिला में विगत चार वर्षों के दौरान सट्टा और शराब से संबंधित सबसे ज्यादा मामला जो यह दर्शाती है , कि जिला में इस तरह की अवैध कारोबार का जड़ कितनी गहरी है। नशा के चलते ग्रामीण क्षेत्रों की समाजिक एकरुपता कमी देखी जा रही है। ज्यादातर ग्रामीण अंचल क्षेत्रों में होने वाली रात्रि बैठक में अक्सर शराबीयो का हंगामा इन दिनों देखा जाता है , जिसके चलते गांव में होने वाली रात्रि बैठक प्रभावित होती है। समाजिक अपराध को बढ़ावा देने के लिए मौजूदा विपक्षी दलों के नेता मौजूदा सरकार और सत्तारूढ़ दल को मानती है ,तो वंही सत्ता धारी दल के नेता इस मामले में पल्ला झाड़ते हुए इसे समाजिक बुराई का तमगा दे देते हैं , जबकि नशा किसी भी राष्ट्र के लिए सही नहीं माना जा सकता है ।